काशी में निकली सबसे पुरानी बात, कलाकारों ने आंखों से निकाली आग

बनारस। शिवरात्रि के मौके पर काशी में प्राचीन शिव बारात का आयोजन किया गया। इस बारात में 7 शैव अखाड़ों के 10 हजार से ज्यादा नागा साधु बाबा विश्वनाथ के दर्शन के लिए पहुंचे। हाथ में गदा और त्रिशूल, शरीर पर भस्म और फूलमाला पहने हुए इन साधुओं ने ‘हर-हर महादेव’ का उद्घोष किया।

बाबा विश्वनाथ के दर्शन के बाद, शाम को बांसफाटक से शिव बारात निकाली गई, जिसमें भगवान शिव के वेश में कलाकारों ने अपनी तीसरी आंख से आग के गोले उगले। इस बारात में विदेशी श्रद्धालु भी रथों पर सवार थे। बारातियों पर महाकुंभ से लाए पवित्र जल की बारिश की गई, और गोदौलिया चौराहा पहुंचने पर बारात का भव्य स्वागत किया गया। शिवरात्रि के दिन तड़के 2:15 बजे बाबा विश्वनाथ की मंगला आरती हुई और उन्हें दूल्हे की तरह श्रृंगार किया गया। मंदिर के बाहर सुबह से ही 5 किलोमीटर लंबी कतार लग गई थी। अब तक 8,29,708 श्रद्धालु बाबा विश्वनाथ के दर्शन कर चुके हैं।

नागा साधुओं ने मंदिर तक पेशवाई निकाली, जिसमें गाड़ियां और ढोल-नगाड़े के साथ अस्त्र-शस्त्र लिए साधु शामिल थे। इस दौरान जूना अखाड़े के साधु आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि के साथ मंदिर पहुंचे। महाकुंभ के बाद यह पहली बार है जब शैव अखाड़ों के नागा साधु काशी पहुंचे हैं। शैव अखाड़ों के साधु 12 साल में केवल दो बार कुंभ और अर्द्धकुंभ के बाद काशी आते हैं। इस बार महाशिवरात्रि और महाकुंभ का संयोग 6 साल बाद बना है। अनुमान है कि इस बार 25 लाख लोग बाबा के दर्शन के लिए काशी पहुंचेंगे।

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