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पुश्तैनी जमीन के लिए रिश्वत देने के बाद भी नहीं मिला न्याय, आत्मदाह की चेतावनी दी पीड़ित परिवार ने

गरियाबंद। छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के खरीपथरा गांव के रहने वाले मुरहा नागेश ने अपनी पुश्तैनी जमीन को वापस पाने के लिए दो साल से लगातार प्रशासनिक दफ्तरों के चक्कर काटे, लेकिन अब तक न्याय नहीं मिला।

मुरहा का आरोप है कि उसकी 7 एकड़ पुश्तैनी जमीन पर गांव के कुछ दबंगों ने राजस्व विभाग की मिलीभगत से कब्जा कर लिया है। उसने इस जमीन को वापस पाने के लिए करीब दो लाख रुपये की रिश्वत भी दी, लेकिन फिर भी न तो सुधार हुआ और न ही जमीन वापस मिली।

कलेक्टर-एसपी को दिया ज्ञापन

मुरहा नागेश ने अब कलेक्टर और एसपी को ज्ञापन देकर चेतावनी दी है कि अगर 14 जुलाई से पहले कोई कार्रवाई नहीं हुई तो वह अपने परिवार सहित कलेक्टोरेट परिसर में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठेगा। और अगर तब भी कोई सुनवाई नहीं हुई तो आत्मदाह करेगा।

हर बार रिश्वत ली गई

पीड़ित ने बताया कि उसने बंदोबस्त सुधार के लिए दो साल पहले आवेदन दिया था। इस दौरान तीन तहसीलदार बदले गए और हर बार उससे रिश्वत ली गई। कुछ दिन पहले अमलीपदर तहसील ने मुरहा के पक्ष में फैसला सुनाया, लेकिन दबंगों ने इस फैसले को एसडीएम कोर्ट में चुनौती दे दी। तब से उसका खेत दोबारा विवाद में फंस गया और वह अब फिर से खेती नहीं कर पा रहा है। तहसीलदार सुशील भोई के मुताबिक, तहसील स्तर पर मुरहा के पक्ष में निर्णय दिया गया था, लेकिन मामला अब एसडीएम न्यायालय में लंबित है। वहां से ही अंतिम फैसला आएगा।

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