Jagdalpur: हृदय विदारक घटना , कोरोना ने छीना मां-बाप….4 मासूमों के सिर से उठा छाया…..मोहल्ले में शोक का माहौल

संजय साहा@जदगलपुर।  (Jagdalpur) बस्तर में एक बार फिर दिल दहलाने वाली घटना सामने आई  है। जगदलपुर के नेगीगुड़ा में रहने वाले मुकेश श्रीवास कोरोना की जंग से हार गए और एक माह पहले ही उनकी पत्नि की भी बीमारी से मौत हो गई थी,  दरसअल मुकेश श्रीवास अपने परिवार के पालन पोषण के लिए घर घर जाकर हेयर कटिंग का काम करते थे,  रहवासियों के मुताबिक कुछ दिन से मुकेश श्रीवास बीमार चल रहा था और इलाज के लिये गाँव के मितानित  द्वारा डिमरापाल ले जाया गया। (Jagdalpur)जहाँ जांच के दौरान  उसकी कोरोना जाँच  रिपोर्ट पॉजिटिव आयी, बेहतर उपचार के लिये डिमरापाल मेडिकल कॉलेज के कोविड अस्पताल भेजा गया था, लेकिन कल  रविवार को उपचार के दौरान उनकी मौत हो गयी। 

रेंडक्रॉस के उपाध्यक्ष ने विधी विधान से किया अंतिम संस्कार

इधर रेडक्रॉस के उपाध्यक्ष  एलेग्जैंडर के द्वारा पुरे विधी विधान के साथ उनका  दाह संस्कार किया गया। अब विडम्बना यह है कि इस दम्पती के चार मासूम छोटे बच्चे है जिनकी उम्र लगभग 4 वर्ष, 6 वर्ष ,10 वर्ष और 12 वर्ष है , जिनके सर से माँ-बाप का साया उठ गया। 

तहसीलदार ने बच्चो की अच्छी देखभाल के दिए निर्देश

फिलहाल  जगदलपुर तहसीलदार पुष्पराज के द्वारा  बच्चो का कोविड जाँच करवाकर महिला बाल विकास विभाग के संरक्षण में  उनकी अच्छे से देखभाल के लिये कहा गया है, जिससे बच्चों को कोई परेशानी ना हो।

महिला एवं बाल विकास विभाग  बच्चों को दे रहे पनाह

कोरोना कहर के चलते जिले में ऐसे कई गरीब तबके के परिवार हैं जिन पर कोरोना की वजह से आफत टूट पड़ी है। कोरोना संक्रमण में मां-बाप की मौत के बाद कई बच्चे अनाथ हो गए हैं। ऐसे में बेसहारा बच्चों को  महिला एवं बाल विकास विभाग  पनाह दे रही है,

गांवो में की जा रही मुनादी

 जिला बाल संरक्षण अधिकारी विजय शंकर शर्मा ने बताया कि इसके लिए शहर व गांव में मुनादी करवाई जा रही है। जिले के पंच,सरपंच, जनपद सदस्य, जिला पंचायत सदस्यों से लेकर सर्व समाज प्रमुखों से आग्रह किया गया है कि ऐसे बच्चे जिनके माता पिता की मौत कोरोना वायरस से हुई है उनकी जानकारी तत्काल उपलब्ध करवाएं।

कोरोना संक्रमण के कारण अस्पताल में भर्ती हो रहे मरीजों में कुछ माता-पिता कोरोना संक्रमण के कारण पालन पोषण में असमर्थ हैं। ऐसे बच्चों का भी बालक- बालिका संरक्षण केंद्र में पूरा ध्यान रखा जा रहा है। जब तक माता पिता क्वॉरेंटाइन से नहीं लौटते हैं ,तब तक पुनर्वास केंद्र में उनके भोजन, पानी व अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराए जा रहे है।   

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