जगन्नाथ रथ यात्रा आज से शुरू, इस दिन गुंडीचा मंदिर पहुंचेंगे भगवान

पुरी। उड़ीसा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा आज से शुरू हो रही है. इस रथ यात्रा का आयोजन हर साल आषाढ़ माह में शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि से होता है. भगवान जगन्नाथ आषाढ़ शुक्ल द्वितीया से दशमी तिथि तक जन सामान्य के बीच रहते हैं. इस दौरान भगवान जगन्नाथ अपने बड़े भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ रथ पर विराजकर गुंडीचा मंदिर की ओर प्रस्थान करते हैं. जगन्नाथ रथ यात्रा का भव्य आयोजन 10 दिन तक चलता है. कहते हैं कि रथ यात्रा के दर्शन मात्र से 1000 यज्ञों का पुण्य फल मिल जाता है. आइए आपको घर में भगवान जगन्नाथ की पूजा, महाप्रसाद के साथ-साथ रथ यात्रा का पूरा शेड्यूल बताते हैं.
रथ यात्रा में सबसे आगे ताल ध्वज पर श्री बलराम जी चलते हैं. बलराम जी के पीछे पद्म ध्वज रथ पर माता सुभद्रा और सुदर्शन चक्र होते हैं. अंत में गरुण ध्वज पर श्री जगन्नाथ जी सबसे पीछे चलते हैं. स्कंद पुराण में स्पष्ट कहा गया है कि रथ यात्रा में जो व्यक्ति श्री जगन्नाथ जी के नाम का कीर्तन करता हुआ गुंडीचा नगर तक जाता है, वह पुनर्जन्म चक्र से मुक्त हो जाता है. जो व्यक्ति भगवान के नाम का कीर्तन करता हुआ रथ यात्रा में सम्मिलित होता है, उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
भगवान जगन्नाथ का महाप्रसाद
भगवान जगन्नाथ जी छह बार महाप्रसाद चढ़ाया जाता है. भोजन में सात विभिन्न प्रकार के चावल, चार प्रकार की दाल, नौ प्रकार की सब्जियां और अनेक प्रकार की मिठाइयां परोसी जाती हैं. मीठे व्यंजन तैयार करने के लिए यहां शक्कर की बजाए अच्छे किस्म का गुड़ प्रयोग में लाया जाता है. आलू टमाटर और फूलगोभी का उपयोग मंदिर में नहीं होता है.
घर में कैसे करें भगवान जगन्नाथ की पूजा?
जिन लोगों के लिए पुरी की रथ यात्रा में जाना संभव नहीं है, वो घर पर ही भगवान जगन्नाथ की उपासना कर सकते हैं. भगवान जगन्नाथ को भोग लगाएं और उनके मंत्रों का जाप करें. घर के पूजा स्थान पर श्री जगन्नाथ, बलभद्र, और सुभद्रा की प्रतिकृति स्थापित करें. उन्हें सात्विक भोग लगाएं. भोग में तुलसी दल जरूर डालें. इसके बाद श्री जगन्नाथ जी की स्तुति करें. या हरि नाम या महामंत्र का संकीर्तन करें. इस दिन घर में पूरी तरह सात्विकता बनाए रखें.