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इसरो का ‘बाहुबली’ LVM3-M6 रॉकेट 90 सेकेंड देरी से होगा लॉन्च, स्पेस ट्रैफिक के कारण बदला समय

दिल्ली। आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से बुधवार सुबह भारत का सबसे शक्तिशाली और भारी ‘बाहुबली’ रॉकेट LVM3-M6 लॉन्च होने जा रहा है, लेकिन इसे निर्धारित समय से 90 सेकेंड की देरी से उड़ान भरनी पड़ेगी। पहले यह मिशन सुबह 8 बजकर 54 मिनट पर लॉन्च होना था, जिसे अब संशोधित कर 8 बजकर 55 मिनट 30 सेकेंड कर दिया गया है।

इसरो के अनुसार, श्रीहरिकोटा के ऊपर स्पेस कॉरिडोर में इस समय हजारों एक्टिव सैटेलाइट लगातार मूव कर रहे हैं। लॉन्च विंडो के दौरान उड़ान पथ पर किसी सैटेलाइट या स्पेस डेब्रिस से टकराव की आशंका को देखते हुए, मिशन की सुरक्षा के लिए यह फैसला लिया गया है। इसरो ने साफ किया है कि यह पूरी तरह प्रीकॉशनरी मेजर है, जिससे मिशन को किसी भी संभावित खतरे से बचाया जा सके।

LVM3-M6 मिशन इसरो और अमेरिकी कंपनी AST स्पेसमोबाइल के बीच हुए कमर्शियल एग्रीमेंट का हिस्सा है। इसके तहत इसरो, AST का ब्लूबर्ड ब्लॉक-2 सैटेलाइट लो-अर्थ ऑर्बिट (LEO) में स्थापित करेगा। यह अगली पीढ़ी का कम्युनिकेशन सैटेलाइट है, जो दुनिया में कहीं भी सीधे स्मार्टफोन तक हाई-स्पीड सेल्युलर ब्रॉडबैंड सेवा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से तैयार किया गया है। इससे 4G-5G वॉयस कॉल, वीडियो कॉल, मैसेजिंग और डेटा सेवाएं बिना किसी टावर के भी मिल सकेंगी।

6,100 किलोग्राम वजनी ब्लूबर्ड ब्लॉक-2, LVM3 रॉकेट से LEO में भेजा जाने वाला अब तक का सबसे भारी पेलोड होगा। इससे पहले नवंबर 2024 में LVM3-M5 से 4,400 किलोग्राम का सैटेलाइट लॉन्च किया गया था। भारी क्षमता के चलते LVM3 को ‘बाहुबली रॉकेट’ कहा जाता है, जो पहले चंद्रयान-2, चंद्रयान-3 और OneWeb के कई मिशन सफलतापूर्वक लॉन्च कर चुका है।

AST स्पेसमोबाइल का दावा है कि उसका लक्ष्य दुनिया के उन इलाकों तक भी मोबाइल कनेक्टिविटी पहुंचाना है, जहां आज नेटवर्क नहीं पहुंच पाता, जिससे शिक्षा, स्वास्थ्य और डिजिटल सेवाओं के नए द्वार खुलेंगे।

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