नितिन@रायगढ़. स्कूल के बाहर ट्रैफिक पुलिस के तीन जवान तैनात, होंगे. स्कूल प्रबंधन को भी एक नियमित गार्ड रखने की समझाईस दी गई।
गौरतलब हो कि कार्मेल स्कूल प्रबंधन की तानाशाही से शहर की सबसे व्यस्ततम सड़क में बीते कई सालों से ट्रैफिक जाम की समस्या बनी हुई है। इसे लेकर शहर वासियों में अब गहरा आक्रोश है। स्कूल प्रबंधन बच्चों की एंट्री और एग्जिट दोनो मुख्य मार्ग से करता रहा है। जिसके कारण सड़क में न केवल घंटों जाम लगता रहा है बल्कि दुर्घटनाओं की संभावनाएं भी बनी रहती हैं।
बीते दिनों प्रशासनिक कार्यवाही के दौरान अधिकारियों ने स्कूल प्रबंधन को सख्त हिदायत दी थी कि वे स्कूल भवन के पीछे के गेट को ही आवश्यक रूप से खोले।
परंतु स्कूल प्रबंधन पर प्रशासनिक निर्देश का कोई असर नही पड़ा। वो वापस समाने गेट से ही बच्चों का आना जाना चालू रखा। इस वजह से ट्रैफिक समस्या वापस बनने लगी। लोगों को हो रही दिक्कतों को लेकर जब मीडिया ने स्कूल प्रबंधन से बात की तो उन्होंने दो टूक कहा कि पत्र लिखने के बाद भी ट्रैफिक पुलिस से उनको मदद नही मिल रही है। आपको जो पूछना है ट्रेफिक प्रभारी से पूछिए।
इस पर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक महेश्वर नाग से बात करने पर उन्होंने बताया कि स्कूल प्रबंधन का आरोप पूरी तरह से गलत है। पत्र मिलने के बाद हमने तीन पुलिस आरक्षक स्कूल में लगाएं है,सिर्फ कार्मेल ही नहीं बल्कि अन्य दूसरे स्कूलों में भी ट्रैफिक आरक्षक तैनात किए गए हैं। जिसकी वजह से शहर के यातायात व्यवस्था नियंत्रण करने में काफी परेशानी हो रही है। हालांकि कार्मेल स्कूल एक निजी संस्था है वह अपने यहां पढ़ रहे बच्चों के पालकों से फीस वसूल करती है. जिससे स्कूल प्रबंधन को लाभ होता हैं। अतः हमने उनके साथ अन्य निजी स्कूल प्रबंधनों को पत्र लिखकर निर्देशित किया है कि वे अपनी तरफ से निजी सुरक्षा कर्मी बढ़ाएं उनमें से एक को स्कूल के मेन गेट में तैनात रहे और वो यातायात नियंत्रण में सक्रिय रहकर ट्रैफिक पुलिस के जवानों की सहायता करेगा। हमने देखा है कि कार्मेल स्कूल के अलावा अन्य निजी शिक्षा संस्थानों में पढ़ने आने वाले बच्चे हर रोज ऑटो रिक्शा या टैक्सी में क्षमता से अधिक बच्चे बैठ कर आते हैं. ऐसा किया जाना गैरकानूनी है। जो संभावित हादसे की बड़ी वजह बन सकती है। स्कूल प्रबंधन को चाहिए कि वो ऐसे बच्चों के पालकों को समझाइस दे।