बीपत सारथी@पेंड्रा। खेती किसानी का सीजन शुरु हो गया है और किसान अपने खेतों में फसल बोने की तैयारी में जुट गये हैं, पर गौरेला के एक गांव में खेती किसानी करते हुये बैलों की जगह पिता पुत्र की जोड़ी जब लोगों को नजर आयी तो हर कोई हैरान था। पर मजबूरी में ऐसा करते हुये पिता पुत्र को कोई मलाल नहीं नजर आया। ये नजारा है गौरेला से ज्वालेस्वर के रास्ते अमरकंटक जाने वाले मार्ग मे पड़ने वाले गांव मदरवानी का। यहां के रहने वाले बृजमोहन यादव की बैल जोड़ी में से एक बैल को पिछले साल सांप ने डस लिया था। जिससे एक बैल की मौत हो गयी, तो वहीं दूसरा बैल भी बूढ़ा होने के कारण उसने साथ छोड़ दिया। अब इस साल खेती की बारी आयी तो उसने किसी तरह पहले तो ट्रेक्टर से पहली बारिश में जोताई करवा लिया, पर अब माली हालत ठीक नहीं होने के कारण वह खुद ही जब नागर फंसाकर जोतने लगा तो उसके मासूम बेटे परमेश्वर यादव को यह नागवार गुजरा और 9 वीं कक्षा में पढने वाला परमेश्वर अपना एडमिशन लेना छोड़कर पापा के साथ नागर में खुद को फांदकर खेती करने लगा है। परमेश्वर को ऐसा करने का जरा भी मलाल नहीं नजर आया और दोनों पिता पुत्र की जोड़ी बैलों की तरह खेत में काम करते हुये नजर आ रही है।
नहीं मिला प्रशासन की ओर से मुआवजा
सांप के डसने से पालतू जानवर की मौत पर मुआवजा मिल गया होता तो किसान परिवार को आज ऐसा करने को मजबूर नहीं होना पड़ता। जहां इलाके के दूसरे किसान खेती के आधुनिक तरीकों से खेती किसानी कर रहे है तो वहीं मदरवानी के इस यादव परिवार के पास बैल भी नहीं है और किसान पिता पुत्र की बैल की तरह काम करती हुयी ये जोड़ी सिस्टम पर भी कई सवाल खड़े कर रही है…..