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छत्तीसगढ़रायगढ़

इस्पात उद्योग से फुटपाथ तक स्थानीय उद्योगपतियों की लड़ाई

नितिन@रायगढ़. बीते कुछ महीनो से पूंजीपथरा स्थित ओपी जिंदल पार्क में रायगढ़ इस्पात उद्योग संघ और जिंदल प्रबंधन के बीच की लड़ाई अदालत से फुटपाथ तक पहुंच गई है।

दोनो के बीच का विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। दोनों ही पक्षों के द्वारा आए दिन एक दूसरे पर जमकर छींटाकशी की जा रही है। बीते दो दिन पूर्व संघ की ओर से रखी प्रेसवार्ता में संघ की तरफ से उद्योगपति राकेश अग्रवाल ने यहां तक कह दिया कि जैसे बाला साहब के सपनों को उनके पुत्र उद्धव ने तोड़ा ठीक उसी राह पर उद्योगपति नवीन जिंदल अपने पिता ओ पी जिंदल के सपनों को कुचल रहे हैं।

उन्होंने कहा कि ओपी जिंदल की प्रेरणा से ही जिले के 42 व्यापारियों ने ओ पी जिंदल औद्योगिक पार्क में अपने उद्योग स्थापित किया था । लेकिन अब इन उद्योगों पर उनके तानाशाह पुत्र नवीन जिंदल तालाबंदी करना चाह रहे हैं। क्या नवीन जिंदल को स्थानीय उद्योगपतियों की समस्या नहीं दिख रही है।

हमने कई दफे नवीन जिंदल से संपर्क स्थापित करने की कोशिश की लेकिन उनके अधिकारी हमें मिलने नहीं दे रहे हैं।

प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस्पात उद्योग संघ के अमित अग्रवाल ने आरोप लगाया कि उनका विरोध प्रदर्शन जिंदल समूह के खिलाफ शांतिपूर्वक जारी है लेकिन जिंदल के निजी सुरक्षा गार्ड सादे कपड़े में आकर बलात लोगों और कर्मियों को हटा रहे हैं। जिस तरह से हाईकोर्ट में जिंदल प्रंबधन की ओर से झूठा बयान दिया गया कि वह हमें 70-80 फीसदी बिजली दे रहे हैं जबकि वह हमें बिजली दे ही नहीं रहा है। वह हमारे हिस्से की बिजली को दूसरी जगह बेच रहा है। कुल मिलाकर हमें बर्बाद करने की जिंदल ने ठान ली है।

संघ के निखिल अग्रवाल ने बताया कि 2003 में स्थापित ओपी जिंदल औद्योगिक पार्क में जिले के व्यापारियों ने उद्योग स्थापित किए। स्थानीय लोगों को स्थानीय उद्योगपतियों द्वारा आजीविका के लिए यह बेहतर कदम था। लेकिन जिंदल प्रबंधन द्वारा हर बार बिजली की दरों को लेकर उद्योग संघ को प्रताड़ित किया जा रहा है। बिजली की दर करने का अधिकार नियामक बोर्ड का है लेकिन जिंदल प्रबंधन ने मनमानी करते हुए दर को बढ़ा दिया है। रेट तय के लिए जिंदल नियामक के पास सही जानकरी नहीं दे रहा है जिससे बिजली की दर तय हो सके। यह जान-बूझकर हमें परेशान करने का षड़यंत्र रचा जा रहा है। बिजली आपूर्ति नहीं होने से कई मशीनें खराब हो गई हैं और उत्पादन ठप है। जिससे यहां कार्य करने वाले करीब 10,000 लोगों की आजीविका प्रभावित हो रही है।

जिदल की जिद के कारण एनपीए की कगार की कई उद्योग

इस्पात उद्योग संघ के योगेश अग्रवाल कहते हैं कि बीते दो महीने से उन्होंने बैकों का न तो ब्याज पटाया है और न ही किश्त, स्थिति ऐसी रही तो अगले महीने वह एनपीए (अलाभकारी आस्तियां) घोषित हो जाएंगे। उनके साथ तीन-चार उद्योगपतियों की भी ऐसी ही स्थिति है। बकौल योगेश “5 मार्च 2022 से बिजली कटौती 50 प्रतिशत फिर उसके बाद 70 प्रतिशत और अब 80-82 प्रतिशत तक कटौती जिंदल समूह द्वारा किया जा रहा है। पूंजीपथरा औद्योगिक पार्क के 42 उद्योग सालाना 1500 करोड़ रूपये की जीएसटी अदा करते हैं। चार महीने से उत्पादन ठप होने से सरकार को करीब 500 करोड़ के जीएसटी का नुकसान हो चुका है।

दूसरी तरफ आज जिंदल के pro ने प्रेस रिलीज जारी कर खा है कि जिस अनुबंध के आधार पर कुछ उद्योगपति हंगामा मचा रहे,उसे तो खुद ही न्यायालय में पैरवी के दौरान नकार दिया गया था।
आरआईयूएस ने एप्टेल कोर्ट में सुनवाई के दौरान लिखित तौर पर पॉवर अनुबंध को शून्य और अवैध बताया था। अब कुछ स्थानीय उद्योगपति उसी के आधार पर बिजली की आपूर्ति के लिए दबाव बनाते हुए विरोध कर रहे हैं।

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