दार्जिलिंग। नेपाल में बिगड़ते हालात के बीच बड़ी संख्या में भारतीय नागरिक पनिटांकी बॉर्डर पार कर भारत लौट रहे हैं। बुधवार को असम की रहने वाली कोहिला नामक एक महिला ने बताया, “वहां हालात बेकाबू हैं। हड़ताल 10-15 दिन तक चलेगी। हम नेपाल से वापस आ रहे हैं। भारत लौटकर जान में जान आई।”
नेपाल में चल रहे ‘जेन-ज़ेड’ आंदोलन ने हालात को और अधिक विस्फोटक बना दिया है। छात्रों और युवाओं के नेतृत्व में यह विरोध प्रदर्शन सरकार से जवाबदेही और पारदर्शिता की मांग कर रहा है। मंगलवार को प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने इस्तीफा दे दिया, जबकि इससे पहले चार मंत्री भी पद छोड़ चुके थे।
प्रदर्शन 8 सितंबर को तब शुरू हुआ जब सरकार ने टैक्स और साइबर सुरक्षा का हवाला देकर फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप और यूट्यूब जैसे 26 प्रमुख सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंध लगा दिया। नागरिकों ने इसे अभिव्यक्ति की आज़ादी पर हमला और असहमति को दबाने का तरीका बताया।
आक्रोशित प्रदर्शनकारियों ने भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद और आर्थिक असमानता खत्म करने की मांग उठाई। “नेपो बेबीज” ट्रेंड ने नेताओं के बच्चों की आलीशान जीवनशैली को उजागर कर आम जनता की नाराजगी और बढ़ा दी। इस बीच, हर दिन करीब 5,000 युवा रोजगार की तलाश में नेपाल छोड़ रहे हैं, जिसने बेरोजगारी संकट को और गहरा कर दिया है।
स्थिति बिगड़ने पर काठमांडू और अन्य शहरों में कर्फ्यू लगा दिया गया है। अब तक 19 लोगों की मौत हो चुकी है और 500 से अधिक घायल हुए हैं। भारतीय विदेश मंत्रालय (MEA) ने भारतीय नागरिकों के लिए यात्रा परामर्श जारी किया है और नेपाल जाने से बचने की अपील की है।