भारत में राष्ट्रपति सिर्फ नाम का मुखिया, अब जजों पर सवाल क्यों: कपिल सिब्बल

दिल्ली। राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। धनखड़ ने कहा था कि “जज राष्ट्रपति को सलाह नहीं दे सकते”, जिस पर सिब्बल ने कहा – “जब सरकार काम नहीं करती, तो कोर्ट को दखल देना ही पड़ता है।”

सिब्बल ने दिया ये बयान

“भारत में राष्ट्रपति और राज्यपाल सरकार की सलाह पर ही काम करते हैं, वे सिर्फ नाम के मुखिया हैं।” “धनखड़ को ऐसी बातें नहीं कहनी चाहिए जो किसी पार्टी का पक्ष लेती हों।” “आज देश की जनता न्यायपालिका पर सबसे ज्यादा भरोसा करती है।” सिब्बल ने 1975 में इंदिरा गांधी के केस का जिक्र किया। उन्होंने कहा, कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इंदिरा गांधी का चुनाव अवैध करार दिया था। जस्टिस वी. आर. कृष्ण अय्यर ने उन्हें प्रधानमंत्री तो रहने दिया, लेकिन संसद में वोटिंग से रोक दिया। उस वक्त धनखड़ को कोर्ट का फैसला मंजूर था, लेकिन अब कोर्ट के फैसलों पर सवाल उठाए जा रहे हैं।

इसलिए शुरू हुआ विवाद
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में राज्यपालों और राष्ट्रपति को भेजे गए बिलों पर फैसला लेने की समयसीमा तय की। इसी पर उपराष्ट्रपति ने आपत्ति जताई, कहा – “कोर्ट राष्ट्रपति को आदेश नहीं दे सकती।” उपराष्ट्रपति ने कहा था, कि “जज कानून बना रहे हैं, सुपर संसद की तरह काम कर रहे हैं।” “जस्टिस वर्मा के घर से नकदी मिली, लेकिन अब तक FIR क्यों नहीं हुई? अगर कोई आम आदमी होता, तो जांच हो चुकी होती।” न्यायपालिका का सम्मान जरूरी है, लेकिन सभी को संविधान की सीमा में रहना चाहिए।”

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