जस्टिस वर्मा पर महाभियोग की प्रक्रिया शुरू: कैश कांड में फंसे जज के खिलाफ संसद में पहली बार ऐसा कदम

दिल्ली। जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया 21 जुलाई को शुरू हो गई। मानसून सत्र के पहले दिन लोकसभा और राज्यसभा में उनके खिलाफ नोटिस दिए गए। इस नोटिस पर कुल 215 सांसदों ने हस्ताक्षर किए हैं, जिनमें राहुल गांधी, अनुराग ठाकुर, सुप्रिया सुले और पीपी चौधरी जैसे नेता शामिल हैं। यह आज़ाद भारत में पहली बार है जब किसी कार्यरत हाईकोर्ट जज के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाया गया है।
संसद के दोनों सदनों में नोटिस देने के बाद अब सुप्रीम कोर्ट के एक वरिष्ठ जज, एक हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस और एक प्रतिष्ठित न्यायविद की समिति तीन महीने में आरोपों की जांच करेगी। रिपोर्ट संसद में पेश की जाएगी और दोनों सदनों में बहस के बाद वोटिंग होगी।
जांच की पृष्ठभूमि में 14 मार्च को जस्टिस वर्मा के लुटियंस स्थित बंगले में आग लगने की घटना है। आग बुझने के बाद वहां से करीब 15 करोड़ रुपये कैश मिलने की खबरें सामने आईं थीं, जिनमें कई नोट जले हुए थे। स्टोर रूम में 500-500 रुपए की जली गड्डियां बरामद हुईं।
22 मार्च को CJI संजीव खन्ना ने एक आंतरिक जांच समिति बनाई, जिसने 4 मई को जस्टिस वर्मा को दोषी ठहराया। रिपोर्ट में कहा गया कि वर्मा और उनके परिवार का स्टोर रूम पर सीधा नियंत्रण था। 64 पन्नों की रिपोर्ट में 55 गवाहों के बयान दर्ज किए गए और कहा गया कि आरोप इतने गंभीर हैं कि हटाने की कार्रवाई जरूरी है। अब संसद इस मामले पर अंतिम निर्णय लेगी।