‘पूना मारगेम’ नीति का असर: बीजापुर में 34 इनामी माओवादी कैडरों ने किया आत्मसमर्पण

रायपुर | बस्तर अंचल में शांति और विकास की दिशा में छत्तीसगढ़ सरकार को एक बड़ी सफलता मिली है। बीजापुर जिले में ‘पूना मारगेम’ नीति से प्रभावित होकर 34 माओवादी कैडरों ने हिंसा का रास्ता छोड़ते हुए आत्मसमर्पण किया है। आत्मसमर्पण करने वाले इन माओवादियों पर कुल 84 लाख रुपए का इनाम घोषित था। सभी ने भारतीय संविधान में आस्था जताते हुए समाज की मुख्यधारा में लौटने का निर्णय लिया है।
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने इस उपलब्धि को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि यह प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व और केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह की दृढ़ इच्छाशक्ति के अनुरूप छत्तीसगढ़ को नक्सलमुक्त बनाने की दिशा में चल रहे निरंतर और ठोस प्रयासों का सकारात्मक परिणाम है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का स्पष्ट लक्ष्य है कि बस्तर को भय और हिंसा से मुक्त कर विकास की राह पर आगे बढ़ाया जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार की ‘पूना मारगेम’ नीति ने यह साबित कर दिया है कि संवाद, संवेदनशीलता और विकास, हिंसा से कहीं अधिक प्रभावी समाधान हैं। यह आत्मसमर्पण केवल हथियार डालने की घटना नहीं है, बल्कि भय, दबाव और भ्रम से मुक्त होकर सम्मानजनक जीवन की ओर लौटने का साहसिक निर्णय है।
उन्होंने कहा कि सरकार आत्मसमर्पण करने वाले सभी व्यक्तियों के पुनर्वास, सुरक्षा, आजीविका, कौशल विकास और सामाजिक पुनर्समावेशन के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। उन्हें मुख्यधारा से जोड़ने के लिए रोजगार, प्रशिक्षण और अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ दिया जाएगा, ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें और समाज में सम्मान के साथ जीवन जी सकें।
मुख्यमंत्री साय ने आज भी भटके हुए युवाओं से अपील की कि वे हिंसा का मार्ग त्यागें और लोकतंत्र, शांति एवं विकास के साथ कदम से कदम मिलाकर चलें। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ को शांति, विश्वास और उज्ज्वल भविष्य का प्रदेश बनाना राज्य सरकार का अटल संकल्प है और इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए सभी स्तरों पर समन्वित प्रयास लगातार जारी रहेंगे।





