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अवैध कमाई, करोड़ों का ट्रांजेक्शन, गांजा का कारोबार…..जीआरपी के बर्खास्त आरक्षकों की इतने करोड़ों की संपत्ति सील..

बिलासपुर। 23 अक्टूबर को बिलासपुर जीआरपी ने योगेश सोंधिया और रोहित द्विवेदी से 20 किलो गांजा जब्त किया था। इन दोनों के खिलाफ जीआरपी थाने में मामला दर्ज किया गया था। जांच के दौरान यह सामने आया कि बर्खास्त आरक्षकों लक्ष्मण गाइन, संतोष राठौर, मन्नू प्रजापति और सौरभ नागवंशी भी इस अवैध गांजा कारोबार में शामिल थे।

ये चारों आरक्षक ट्रेन में गांजा पकड़कर अपने सहयोगियों योगेश उर्फ गुड्डू सोंधिया और श्यामधर उर्फ छोटू चौधरी को देते थे। दोनों ट्रेन में पहले से बुलाए गए ग्राहकों को गांजे की सप्लाई करते थे। इस संबंध में फाइनेंशियल इन्वेस्टिगेशन भी की गई, जिसके बाद इनकी अवैध संपत्ति का खुलासा हुआ। जांच में पता चला कि इन आरोपियों के पास जमीन, मकान और महंगी गाड़ियां थीं, जो अब जब्त कर ली गई हैं।

बता दें कि इनकी संपत्ति को सीज करने के लिए प्रकरण मुंबई के सफेमा कोर्ट भेजा गया है। इसके साथ ही, आरोपियों के खिलाफ एनडीपीएस (नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सब्सटेंस) कोर्ट में चालान भी पेश किया गया है। यह कार्रवाई पुलिस की ओर से मादक पदार्थों के खिलाफ सख्त कदम और विभागीय भ्रष्टाचार के खिलाफ एक महत्वपूर्ण पहलू मानी जा रही है। आरक्षक मन्नू प्रजापति पर जांच के दौरान यह भी सामने आया कि वह अपने साले के बैंक खाते में बड़े पैमाने पर रुपए जमा करता था। उसके खाते में करोड़ों रुपये के ट्रांजेक्शन पाए गए हैं, जो उसकी अवैध कमाई और मादक पदार्थों के कारोबार से जुड़े होने का संकेत देते हैं।

अन्य बर्खास्त आरक्षक, जैसे लक्ष्मण गाइन, संतोष राठौर और सौरभ नागवंशी, ने कोरबा में करोड़ों रुपये की संपत्ति बनाई थी। यह सब जांच के दौरान खुलासा हुआ, और अब पुलिस ने इस मामले में कुल सात लोगों को गिरफ्तार किया है। सभी आरोपी वर्तमान में जेल में बंद हैं।

इस मामले ने एक ओर भ्रष्टाचार और अवैध गतिविधियों की ओर इशारा किया है, और पुलिस की ओर से किए गए ठोस कदमों से यह साफ हो गया है कि मादक पदार्थों के कारोबार और उससे जुड़ी संपत्तियों की पहचान और जब्ती के लिए अधिकारियों की ओर से गंभीर प्रयास किए जा रहे हैं।

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