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अगर जिंदगी गढ़ने वाले मंदिर में जाने से छात्रों को सताने लगे डर, सोचिये भला क्या हो?


अंकित सोनी@सूरजपुर. छत्तीसगढ़िया स्लोगन स्कूल जाबो पढे बर जिंदगी ला गढे बर तो आप सभी ने सुना ही होगा, लेकिन अगर जिंदगी को गढ़ने वाले मंदिर में जाने से डर सताने लेगे तो सोचिये भला क्या हो.

स्कूलों की स्थिति कुछ इस तरह ही अपनी दुर्दशा इन दिनों बयाँ कर रही है,, सूरजपुर के एक स्कूल के बच्चे अपनी जान को जोखिम में डालकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं,, ठेकेदार और शिक्षा विभाग के भ्रष्टाचार का खामियाजा भुगतने को यह बच्चे मजबूर हैं, बच्चों और शिक्षकों के द्वारा लगातार फरियाद करने के बाद भी इनके कान पर जूं तक नहीं रेंग रही है,, शिक्षा विभाग की पोल खोलती देखिये हमारी यह रिपोर्ट,,

एक कक्षा में संख्या से ज्यादा बैठे बच्चे, यह नजारा है सूरजपुर के बसदेई हाई सेकेंडरी स्कूल का है. स्कूल की बिल्डिंग जर्जर होने के कारण बच्चे स्कूल के अतिरिक्त भवन में पढ़ाई करने को मजबूर हैं. अतिरिक्त कक्ष के बिल्डिंग को बने अभी 5 से 6 साल भी पूरे नहीं हुए हैं और यह भवन इतनी जर्जर स्थिति में है कि कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है.

थोड़ी सी बारिश में छत्त से टपकने लगा पानी

थोड़ी सी बारिश होने पर ही छत से पानी टपकना शुरू हो जाता है और पूरे क्लास रूम में पानी भर जाता है. जिससे कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है. इन छात्रों के लिए स्कूल में शौचालय भी बनाया जा रहा है लेकिन इसकी क्वालिटी इतनी खराब है कि बच्चे शौचालय का उपयोग नहीं कर रहे हैं. छात्रों के द्वारा इसकी शिकायत कई बार की जा चुकी है. बावजूद इसके अभी तक संबंधित विभाग के द्वारा कोई पहल नहीं की गई है. एक और यहां पहले ही अतिरिक्त कक्ष भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुकी है. उसके बाद फिर नए निर्माण की यही स्थिति भ्रष्टाचार के पैमाने में एक नया अध्याय लिख रहा हैं.

शिक्षक ने माना भवन की स्थिति बहुत खराब

स्कूल में पढ़ा रहे शिक्षक भी यह बात मान रहे हैं, स्कूल भवन की स्थिति बहुत खराब हो चुकी है और दूसरी कोई व्यवस्था नही होने के कारण मजबूरी में इन बच्चों को अतिरिक्त भवन में पढ़ाया जा रहा है,, इसकी हालत भी जर्जर हो चुकी है और छत से पानी टपकना शुरू हो गया है कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है,,,, जिसकी शिकायत हमने कई बार जिले के अधिकारियों से किया है पर कोई कार्यवाही नहीं हुई है,,, शौचालय का स्थिति तो ऐसा है कि कभी भी अपने आप हो गिर सकता है इसी वजह से स्कूल के प्राचार्य ने उसे अभी तक हैंड ओवर नहीं लिया है जिसके लिए इनके ऊपर , दबाव भी बनाया जा रहा है आज भी बच्चे भेड़ बकरियों की तरह एक ही कमरे में पढ़ने को मजबूर हैं,,

जिले के कई स्कूल हादसों को दे रहे दावत

जिले में कई अन्य स्कूल भी हैं, जो हादसे को दावत दे रहे हैं,, तमाम शिकायतों के बावजूद ऐसे जर्जर भवन को लेकर शिक्षा विभाग के द्वारा गंभीरता ना लिया जाना कई सवाल खड़े करता है,,,, और ऐसे जर्जर भवनों की वजह से यदि कोई हादसा हो जाता है तो उसका जिम्मेदार कौन होगा??,,,,

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