रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि पद्मश्री डॉ. सुरेन्द्र दुबे न केवल छत्तीसगढ़ के, बल्कि देश के ऐसे हास्य कवि थे, जिन्होंने अपनी हँसाने-गुदगुदाने वाली कविताओं के साथ गहरे सामाजिक संदेश देकर अमिट छाप छोड़ी। वे अपनी काव्य रचनाओं के माध्यम से हमेशा लोगों के बीच जीवित रहेंगे।
मुख्यमंत्री मैक कॉलेज ऑडिटोरियम में आयोजित डॉ. दुबे की जयंती पर उनकी अंतिम कृति “मैं छत्तीसगढ़ बोलता हूँ” के विमोचन कार्यक्रम में शामिल हुए। कार्यक्रम की अध्यक्षता विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने की। मुख्यमंत्री ने कहा कि डॉ. दुबे ने छत्तीसगढ़ी भाषा के संवर्धन और राज्य की सांस्कृतिक पहचान को देश-विदेश में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी अनुपस्थिति साहित्य जगत के लिए अपूरणीय क्षति है।
उन्होंने स्मरण किया कि अनेक मंचों पर उन्हें डॉ. दुबे की कविताएँ सुनने का अवसर मिला। हास्य रस के साथ-साथ वे सौम्य, सरल और संवेदनशील व्यक्तित्व के धनी थे, जिनके मन में समाज, प्रदेश और देश के प्रति गहरी लगन और जागरूकता थी। विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने कहा कि डॉ. दुबे छत्तीसगढ़ी भाषा, साहित्य और लोकसंस्कृति के प्रखर प्रतिनिधि थे। उनके लेखन, नाट्यकर्म और संवाद ने प्रदेश को सामाजिक चेतना और सांस्कृतिक स्वाभिमान की नई दिशा दी।
धरसीवां विधायक एवं पद्मश्री अनुज शर्मा ने आलेख पाठ किया। कार्यक्रम का आभार प्रदर्शन डॉ. दुबे की धर्मपत्नी शशि दुबे ने किया। आयोजन श्री सुरेन्द्र दुबे फाउंडेशन द्वारा किया गया, जिसमें कैबिनेट मंत्री लखन लाल देवांगन, दुर्ग सांसद विजय बघेल, जनप्रतिनिधि और साहित्यकार बड़ी संख्या में उपस्थित थे।