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प्रधानमंत्री आवास योजना से छत्तीसगढ़ में आवास क्रांति

हर गरीब को पक्का मकान देने की ओर बड़ा कदम

रायपुर। रायपुर। प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) के माध्यम से देशभर में गरीबों और जरूरतमंदों को पक्का मकान देने का सपना साकार हो रहा है। विशेषकर छत्तीसगढ़ में यह योजना एक आवास क्रांति बन चुकी है।

प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना (PMAY-G) के तहत पर्यावरण, भौगोलिक और सांस्कृतिक जरूरतों को ध्यान में रखते हुए प्रत्येक राज्य के लिए अलग-अलग घरों की डिजाइन तैयार की गई है। इन मकानों में सुरक्षा के साथ-साथ स्थानीय जलवायु और भूकंप जोखिम का भी विशेष ध्यान रखा गया है।

इस योजना के तहत बनाए जा रहे घरों में शौचालय, बिजली, पानी और एलपीजी जैसी मूलभूत सुविधाएं शामिल हैं। कम लागत में निर्माण और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण पहल मानी जा रही है। शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को किफायती आवास देना इस योजना का उद्देश्य है। इसकी शुरुआत 25 जून 2015 को हुई थी और अब इसे दिसंबर 2025 तक बढ़ा दिया गया है।

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने अपने कार्यकाल की शुरुआत में ही 18 लाख परिवारों को आवास की स्वीकृति देकर सरकार के संकल्प को स्पष्ट किया था। वर्ष 2024-25 में 11.5 लाख से अधिक मकानों का लक्ष्य तय किया गया है, जिनमें से 9.5 लाख से अधिक आवास स्वीकृत हो चुके हैं। इनमें 2.16 लाख घरों का निर्माण पूर्ण हो चुका है। आगामी वर्ष 2025-26 में लगभग 3 लाख परिवारों को योजना का लाभ देने का लक्ष्य रखा गया है।

गांवों में अब जर्जर झोपड़ियों की जगह पक्के मकान दिखाई दे रहे हैं। यह योजना न सिर्फ गरीबों को छत दे रही है, बल्कि रोजगार और निर्माण सामग्री के क्षेत्र में आर्थिक गतिविधियों को भी बढ़ावा दे रही है। इससे ईंट, सीमेंट, सरिया जैसे व्यवसायों में तेजी आई है। छत्तीसगढ़ को भारत सरकार से वर्ष 2024-25 के लिए कुल 11,50,315 आवासों का लक्ष्य मिला है, जिसमें से अब तक 9,41,595 आवास स्वीकृत किए जा चुके हैं। केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राज्य को अतिरिक्त 3 लाख आवासों की स्वीकृति देकर इस प्रयास को और बल दिया है।

इसके अलावा, राज्य सरकार विशेष पिछड़ी जनजातियों जैसे बैगा, कमार, अबूझमाड़िया, बिरहोर आदि को प्रधानमंत्री जनमन योजना और मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत भी पक्का आवास उपलब्ध करा रही है। मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत अब तक 38,632 आवास स्वीकृत हो चुके हैं, वहीं आत्मसमर्पित नक्सलियों और पीड़ित परिवारों के लिए 15,000 विशेष आवास स्वीकृत किए गए हैं।

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