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मातृत्व अवकाश वेतन नहीं मिलने पर हाईकोर्ट सख्त, शासन से मांगा जवाब

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने संविदा पर कार्यरत स्टाफ नर्स को मातृत्व अवकाश के दौरान वेतन न देने के मामले में शासन की उदासीनता पर नाराजगी जताई है। न्यायमूर्ति रविन्द्र कुमार अग्रवाल की एकलपीठ ने पूर्व आदेश के बावजूद वेतन भुगतान न करने पर शासन से स्पष्टीकरण मांगा है।

याचिकाकर्ता कबीरधाम जिला अस्पताल में संविदा स्टाफ नर्स हैं। उन्होंने 16 जनवरी से 16 जुलाई 2024 तक की मातृत्व अवकाश ली, जो विधिवत स्वीकृत भी की गई थी। 21 जनवरी को उन्होंने कन्या को जन्म दिया और 14 जुलाई को कार्य पर लौट आईं। इसके बाद उन्होंने कई बार वेतन के लिए आवेदन किया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।

उन्होंने छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (अवकाश) नियम, 2010 के नियम 38 का हवाला देते हुए याचिका दायर की, जिसमें कहा गया कि संविदा कर्मचारियों को भी मातृत्व अवकाश का वेतन मिलना चाहिए, और यह अवकाश लीव अकाउंट से डेबिट नहीं होगा। अधिवक्ता श्रीकांत कौशिक ने उनकी ओर से पैरवी की।

इस याचिका में WPS 5696/2025 के फैसले का भी हवाला दिया गया, जिसमें संविदा कर्मचारियों को समान लाभ देने का निर्देश दिया गया था। 10 मार्च 2025 को कोर्ट ने शासन को आदेश दिया था कि तीन माह के भीतर वेतन पर निर्णय ले, लेकिन अनुपालन न होने के कारण याचिकाकर्ता को आर्थिक संकट झेलना पड़ रहा है।

अब हाईकोर्ट ने शासन को 17 अगस्त 2025 के सप्ताह में अगली सुनवाई से पहले जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। यह मामला संविदा कर्मचारियों के अधिकारों की अनदेखी का गंभीर उदाहरण माना जा रहा है।

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