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छत्तीसगढ़ में करंट हादसों पर हाई कोर्ट सख्त, भविष्य के लिए रोडमैप बनाने के निर्देश

बिलासपुर। गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही और कोंडागांव जिले में दो मासूमों की करंट से मौत ने पूरे राज्य को हिला दिया। करगीकला गांव में 6 साल का बच्चा खेत के पास खेलते हुए बिजली की चपेट में आ गया और उसकी जान चली गई। वहीं, कोंडागांव जिले में ढाई साल की बच्ची महेश्वरी यादव खुले बिजली के तार से करंट झेलकर मृत हो गई।

हाई कोर्ट ने इन घटनाओं को बेहद गंभीर मानते हुए छुट्टी के दिन सुनवाई की। नेशनल लोक अदालत की व्यस्तता के बावजूद चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच ने राज्य सरकार से जवाब तलब किया। कोर्ट ने इन घटनाओं को लापरवाही का गंभीर उदाहरण बताया और भविष्य में रोकथाम के लिए ठोस कदम उठाने को कहा।

महाधिवक्ता प्रफुल्ल एन भारत ने मुख्य सचिव को पत्र लिखकर मामले की जानकारी दी। इसके बाद महिला एवं बाल विकास विभाग के संचालक पदुम सिंह एल्मा ने सभी जिलों के कलेक्टर और महिला बाल विकास अधिकारियों को निर्देश दिए कि प्रदेश के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों का निरीक्षण कर रिपोर्ट प्रस्तुत करें। मुख्य सचिव को व्यक्तिगत शपथ पत्र देने के आदेश भी दिए गए।

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि केवल कर्मचारियों को निलंबित करना पर्याप्त नहीं है। बच्चों की सुरक्षा और पोषण सुनिश्चित करने वाले आंगनबाड़ी केंद्रों में इस तरह की घटनाएं अत्यंत शर्मनाक हैं। इसके साथ ही राज्य में खेतों में बाड़ पर करंट छोड़ने की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं, जिससे इंसानों, पशुओं और वन्यजीवों की जान खतरे में है।

हाई कोर्ट ने मुआवजे की स्थिति भी पूछी और राज्य सरकार से जवाब तलब किया कि मृत बच्चों के परिजनों को अब तक क्या मुआवजा दिया गया है। अगली सुनवाई 22 सितंबर को होगी।

इस मामले ने स्पष्ट कर दिया है कि बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए न केवल तत्काल कदम बल्कि लंबी अवधि की नीति और रोडमैप बनाना आवश्यक है, ताकि भविष्य में ऐसी दर्दनाक घटनाओं को रोका जा सके।

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