सचिवालय कैंटीन का टेंडर नई फर्म को देने पर हाईकोर्ट की रोक

जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने सचिवालय कैंटीन के टेंडर को लेकर बड़ा फैसला दिया है। कोर्ट ने बिना कानूनी प्रक्रिया अपनाए नई फर्म को टेंडर देने पर रोक लगा दी है। साथ ही मुख्य सचिव, कार्मिक सचिव और उप सचिव से 30 मई तक जवाब मांगा गया है।

यह आदेश जस्टिस अनिल कुमार उपमन ने हरिओम पुरोहित की याचिका पर दिया। याचिकाकर्ता की फर्म मैसर्स अंबरवाला सचिवालय की कैंटीन चला रही थी। उन्होंने कोर्ट में कहा कि उन्हें 2019 में 5 साल के लिए मंजूरी दी गई थी। लेकिन अब बिना किसी सूचना के 23 अप्रैल 2025 को नोटिस देकर कैंटीन खाली करने को कहा गया।

याचिकाकर्ता के वकील रमित पारीक ने बताया कि सचिवालय कर्मचारी संघ ने बिना ई-टेंडर प्रक्रिया अपनाए गुपचुप तरीके से टेंडर किसी अनजान फर्म को दे दिया। इसके बाद 28 अप्रैल को कैंटीन का ताला तोड़कर सामान बाहर निकाल दिया गया और नई फर्म को काम सौंप दिया गया। याचिकाकर्ता ने यह भी बताया कि कैंटीन संचालन के दौरान उनकी फर्म के 3 करोड़ रुपए के बिल अभी तक अलग-अलग विभागों में बकाया हैं। बिना भुगतान किए कैंटीन खाली करवा दी गई।

साथ ही यह भी आरोप लगाया गया कि टेंडर प्रक्रिया में उन्हें शामिल होने का मौका भी नहीं दिया गया। कर्मचारियों के सचिवालय पास भी रद्द कर दिए गए और डराया-धमकाया गया। हाईकोर्ट ने अब इस पूरे मामले पर अगली सुनवाई तक नई फर्म को काम सौंपने पर रोक लगा दी है और राज्य सरकार से सफाई मांगी है। यह मामला ट्रांसपेरेंसी और नियमों के उल्लंघन से जुड़ा है, जिस पर कोर्ट गंभीरता से विचार कर रहा है।

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