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HighCourt ने किया बरी,200 रुपये की रिश्वत मामले में 28 साल बाद मिला इंसाफ, कॉन्सटेबल की हो चुकी है मौत, परिवार ने लड़ा केस

मुंबई. हेड कॉन्स्टेबल पर 200 रुपये की रिश्वत लेने का आरोप लगा था. हेड कॉन्स्टेबल पर आरोप लगने के बाद मामला स्थानीय कोर्ट में पहुंचा. स्थानीय कोर्ट ने रिश्वत मामले में हेड कॉन्स्टेबल को दोषी ठहराया.

स्थानीय अदालत के बाद मामला बॉम्बे हाईकोर्ट पहुंचा और 200 रुपये की रिश्वत का केस एक या दो नहीं बल्कि 28 साल तक चला. अब जाकर हेड कॉन्स्टेबल को हाईकोर्ट से रिहाई मिल गई है.

लेकिन दुर्भाग्य की बात यह है कि कोर्ट का यह फैसला तब आया जब हेड कॉन्स्टेबल इस दुनिया में नहीं हैं. उनकी मौत हो चुकी है.

पत्नी ओर बेटी नें लड़ा केस

बॉम्बे हाईकोर्ट में यह केस हेड कॉन्स्टेबल की पत्नी और बेटी ने लड़ा. 31 मार्च को मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति प्रकाश नाइक की बेंच ने सोलापुर कोर्ट के 31 मार्च, 1998 के आदेश को रद्द कर दिया. बेंच ने कहा, ‘रिश्वत की मांग पर मुकदमा चलाने का मामला संदेह के घेरे में है. सबूतों में विसंगतियों को ध्यान में रखते हुए, आरोपी को संदेह का लाभ मिलता है और वह बरी होने का हकदार है.’

जानिए क्या हैं पूरा मामला

कोर्ट में सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने कहा कि 6 नवंबर, 1994 को मोहोल तालुका के वाघोली गांव के बाबूराव शेंडे पर कुछ लोगों ने हमला किया था. मोहोल पुलिस स्टेशन के एक सब-इंस्पेक्टर ने उसे कामती चौकी पर चावरे तक पहुंचाने के लिए एक सीलबंद लिफाफे में एक नोट दिया. वह 19 नवंबर को चावरे से मिले. चावरे ने उन्हें पत्नी के बयान दर्ज कराने के लिए लाने को कहा. शेंडे ने कहा कि उनके बयान दर्ज होने के बाद, चावरे ने उनके खिलाफ एक मामला दर्ज नहीं करने के लिए 200 रुपये की मांग की. उन्होंने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो से संपर्क किया और 21 नवंबर को चावरे फंस गए.

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