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वक्फ कानून पर लगी याचिकाओं पर सुनवाई 5 मई को

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर शुक्रवार को बड़ा फैसला सुनाया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अब केवल 5 प्रमुख याचिकाओं पर ही सुनवाई होगी, जिनमें AIMIM अध्यक्ष और हैदराबाद सांसद असदुद्दीन ओवैसी की याचिका भी शामिल है।

बाकी लगभग 65 याचिकाओं को हस्तक्षेपकर्ता के रूप में शामिल किया जाएगा। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस पी.वी. संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वह इस मामले में 7 दिनों के भीतर जवाब दाखिल करे। इसके बाद याचिकाकर्ता 5 दिनों में प्रत्युत्तर देंगे। अगली सुनवाई 5 मई को दोपहर 2 बजे होगी।

कोर्ट ने सुनवाई सीमित की

कोर्ट ने वक्फ संशोधन कानून से संबंधित सुनवाई को व्यवस्थित और प्रभावी बनाने के लिए इसे पांच प्रमुख याचिकाओं तक सीमित किया है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ताओं ने आपसी सहमति से यह पांच याचिकाएं नामित की हैं ताकि सभी पक्षों की बात न्यायालय में रखी जा सके। मामले का नाम भी अब बदलकर ‘इन रे: वक्फ अमेंडमेंट एक्ट’ कर दिया गया है।

इन याचिकाओं पर होगी सुनवाई

  • असदुद्दीन ओवैसी – AIMIM अध्यक्ष और हैदराबाद से सांसद
  • अर्शद मदनी – इस्लामी विद्वान, दारुल उलूम देवबंद के प्रमुख
  • मुहम्मद जमील – सामाजिक कार्यकर्ता
  • मो. फजलुर्रहीम – ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव
  • शेख नूरुल हसन – मणिपुर NPP के विधायक

कोर्ट ने नियुक्तियां भी रोकीं

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि वक्फ बोर्डों में नई नियुक्तियों पर फिलहाल रोक लगाई जाए। कोर्ट ने यह कदम तब उठाया जब याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि संशोधित कानून के तहत नियुक्तियों में पारदर्शिता नहीं है और यह धार्मिक अधिकारों का उल्लंघन करता है।

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