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जल संवर्धन की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा भू-जल संवर्धन मिशन: मुख्यमंत्री विष्णु देव साय

रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने आज पंडित दीनदयाल उपाध्याय भू-जल संवर्धन मिशन (शहरी) का शुभारंभ किया। इस मिशन के तहत प्रदेश के सभी नगरीय निकायों में भू-जल और वर्षा जल संरक्षण के लिए प्रभावी एवं समन्वित प्रयास किए जाएंगे। मुख्यमंत्री ने रायपुर के पंडित दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में आयोजित कार्यक्रम में मिशन का ब्रोशर विमोचित किया और इस पर तैयार वीडियो भी लॉन्च किया। साथ ही उन्होंने राज्य के नौ नगरीय निकायों में दिवंगत 18 कर्मचारियों के परिजनों को अनुकंपा नियुक्ति पत्र प्रदान किए।

विशेषज्ञों का मंथन एवं अनुभव साझा करना

शुभारंभ कार्यक्रम में उप मुख्यमंत्री एवं नगरीय प्रशासन मंत्री अरुण साव, जल संसाधन मंत्री केदार कश्यप, रायपुर नगर निगम की महापौर मीनल चौबे, जल संरक्षण के क्षेत्र में विख्यात ‘वाटरमैन’ राजेन्द्र सिंह सहित अनेक जनप्रतिनिधि और विशेषज्ञ मौजूद थे। कार्यक्रम में हाइड्रोलॉजिस्ट्स, कॉलोनाइजर्स, उद्योग समूह, वन विभाग, लोक निर्माण विभाग, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग तथा जल संसाधन विभाग के अधिकारी और विशेषज्ञों ने जल संरक्षण के उपायों और उनके परिणामों पर चार घंटे तक विस्तृत चर्चा की। गुजरात के सूरत म्युनिसिपल कार्पोरेशन की टीम ने वर्षा जल संचयन और भू-जल रिचार्ज के अपने सफल प्रयास साझा किए।

मुख्यमंत्री का संदेश: जल संरक्षण जरूरी

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि जल के बिना जीवन की कल्पना असंभव है। उन्होंने बताया कि नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग द्वारा इस महत्वाकांक्षी मिशन की शुरुआत की गई है, जो वर्षा जल और भू-जल के संरक्षण में मील का पत्थर साबित होगा। उन्होंने बताया कि प्रदेश में ‘मोर गांव मोर पानी’ जैसे अभियान चलाए जा रहे हैं, जिनका उद्देश्य जल संरक्षण को जन-आंदोलन बनाना है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आह्वान पर पूरे देश में तालाबों का निर्माण एवं जीर्णोद्धार भी किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने आगाह किया कि जल संरक्षण में लापरवाही आने वाले समय में गंभीर समस्या पैदा कर सकती है।

उप मुख्यमंत्री बोले, शहरों में जल संकट से निपटने की रणनीति

उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने बताया कि वर्षा जल संचयन, संरक्षण और भू-जल रिचार्ज पर विशेषज्ञों की चार घंटे लंबी कार्यशाला हुई। उन्होंने कहा कि जल संरक्षण को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने तथा वर्षा के पैटर्न के अनुसार फसल चक्र अपनाने की भी बात हुई है। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ में पर्याप्त वर्षा होती है, लेकिन उसका उचित संचय और संरक्षण जरूरी है ताकि भविष्य में शहरों की जल आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके।

जल संसाधन मंत्री की उम्मीदें और भागीदारी

जल संसाधन मंत्री केदार कश्यप ने कहा कि मुख्यमंत्री के नेतृत्व में जनभागीदारी से छत्तीसगढ़ जल संचयन में देश में अग्रणी बन चुका है। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस मिशन के तहत और अधिक प्रभावी कार्य होंगे। मंत्री ने सभी संबंधित विभागों और नगर निकायों से मिशन को सफल बनाने का आह्वान किया।

कार्यक्रम में नगरीय प्रशासन विभाग के सचिव, सुडा के सीईओ, नगर निगमों के अधिकारी, अभियंता, जल विशेषज्ञ, समाजसेवी एवं स्वयंसेवी संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित थे। यह मिशन शहरी क्षेत्रों में जल संरक्षण के लिए एक नया अध्याय खोलने जा रहा है, जो भविष्य में जल संकट को कम करने और सतत् जल प्रबंधन को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

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