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छत्तीसगढ़गरियाबंद

गोबर और गौमूत्र के प्रयोग से बंजर जमीन में खील गई हरियाली, पढ़िए देवभोग के शिक्षक अवनीश पात्र की क़ृषि के क्षेत्र में सफलता की कहानी

रवि तिवारी@देवभोग. ब्लॉक के रहने वाले शिक्षक अवनीश पात्र अपने खेती में किये जा रहे नवाचारों के चलते अलग पहचान रखते हैं..वे खेती से मुँह मोड़ चुके कई युवाओं को दोबारा खेती से जोड़ने में कामयाब रहे हैं ..उन्होंने घाटे से जूझ रही खेती को मुनाफे की तरफ मोड़ने के लिए जैविक खेती का ऐसा तरीका अपनाया है..जिनसे सीख लेकर आस-पास के कई किसानों ने जैविक खेती कर अपनी खेती को मुनाफेदार बनाया है..यहां बताना लाजमी होगा कि शिक्षक अवनीश पात्र ने ज़ब साल 2012 में गहनामुड़ा की इस 10 एकड़ जमीन पर खेती करने का निर्णय लिया तो आस-पास के लोगों ने यह कहकर मना किया कि यह जमीन सालों से बंजर पड़ी है..लेकिन उन्होंने लोगों की बातों को अनसुना करते हुए उस जमीन को खेती के लायक बनाने का इरादा कर लिया था..अवनीश ने लगातार चार साल तक गोबर खाद और गौमूत्र का प्रयोग करते हुए खेती किया.. आज इसका नतीजा भी सकारात्मक रहा.. और चार साल की कड़ी मेहनत के बाद उन्होंने बंजर जमीन को उपजाऊ जमीन में बदल दिया… आज खेती से ही उन्हें सालाना 5 से 6 लाख का मुनाफा भी हो रहा है…

जैविक खेती को बनाया आधार-: शिक्षक अवनीश ने बताया कि साल 2012 में ज़ब उन्होंने फ़सल लगाना शुरू किया.. तो उस दौरान जमीन की उर्वरक शक्ति बहुत ज्यादा कम हो गई थी…इसके बाद भी अवनीश हिम्मत नहीं हारे… लगातार चार साल तक परिणाम संतोषजनक नहीं आने पर भी उनका हौसला नहीं टूटा और वे लगातार गोबर खाद और गौमूत्र का उपयोग करते हुए हर साल खेती करते चले गए… चार साल की मेहनत के बाद अवनीश की कड़ी मेहनत ने रंग लाना शुरू कर दिया.. चौथे साल लगाए गए सभी फ़सल का उत्पादन संतोषजनक रहा.. और साल दर साल फ़सल और पेड़-पौधों की वृद्धि भी तेजी से होती गई…अवनीश ने बताया कि उनके बगीचे में उन्होंने 40 गाय भी पाला है.. इसी से निकलने वाले गौ मूत्र और गोबर से वे जैविक खेती करते है.. शिक्षक ने बताया कि गौ मूत्र को एक ड्रम में रखकर जीवामृत और कीटनाशक बनाकर उसका जरूरत के हिसाब से फसलों में लगातार छिड़काव किया जाता है..

नई फ़सल का प्रयोग रहा सफल-: शिक्षक अवनीश ने बताया कि उन्होंने नई फ़सल पान की फ़सल भी लगाया है.. अभी उन्होंने 12 प्रजाति के पान का फ़सल लगाया है… अवनीश के मुताबिक अभी प्रयोग के तौर पर लगाया गया पान का फ़सल का परिणाम अच्छा रहा है.. जल्द ही इसे व्यवसायिक स्तर पर करने की तैयारी है.. शिक्षक अवनीश के मुताबिक पान की फ़सल का मार्गदर्शन उन्हें इंद्रा गाँधी क़ृषि विश्व विधालय रायपुर और गरियाबंद से मिला..इसी के साथ ही छाया में होने वाले फ़सल अदरक, हल्दी, काली हल्दी, तिखुर, गुलबकावली, केओकांदा की फ़सल भी आम पेड़ के बीचों-बीच होने वाले छाया में लिया जा रहा है…

फलदार पौधों की विशेष प्रजातियां-: शिक्षक अवनीश पात्र ने बताया कि उन्होंने बंजर जमीन में जैविक खाद से कई फलदार पेड़ों की प्रजातियों को उगाने में सफलता हासिल किया है.. जिनसे वे व्यवसायिक स्तर पर भी आमदनी प्राप्त कर रहे है..यहां बताना लाजमी होगा कि 10 एकड़ में शिक्षक के द्वारा बनाये गए बगीचे में आम के करीब 450 पौधे है, तो वहीं नीबू के 100 से भी ज्यादा पौधे है.. वहीं बगीचे में आम की कई प्रजातियां भी लगाई गई है.. वहीं आम और नीबू के फलदार पौधों की खूबसूरती देखते ही बनती है..इसी के साथ ही केला, अमरुद, कटहल, चीकू और आंवला के फलदार पौधे भी बगीचे की रौनक बढ़ा रहे है…

आमजनों के स्वास्थ्य के लिए लगाया औषधीय फ़सल-: शिक्षक ने अपने बगीचे में आमजनों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर भी काम किया है.. इसी के मद्देनजर उन्होंने बगीचे में औषधि फ़सल जैसे सीता अशोक, दाल चीनी, तेजपत्ता, मोलश्री, काली मिर्च, काली हल्दी, तिखुर, गुलबकावली का भी फ़सल लगाया है.. शिक्षक अवनीश ने बताया कि कई बार लोग अपने स्वास्थ्य के लिए औषधि खोजते रह जाते है.. लेकिन उन्हें नहीं मिल पाता.. और उन्हें परेशानी होती है.. ऐसे में जरूरतमंद लोगों को राहत देने के लिए बगीचे में औषधि फ़सल भी लगाया गया है…

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