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ग्राफ्टेड बैंगन तकनीक से बदली खेती की तस्वीर, खरसिया के किसान मुरलीधर साहू की सफलता बनी प्रेरणा

रायपुर। आधुनिक कृषि तकनीक और उद्यानिकी विभाग के मार्गदर्शन ने रायगढ़ जिले के खरसिया विकासखंड के किसान मुरलीधर साहू की खेती का स्वरूप पूरी तरह बदल दिया है। ग्राफ्टेड बैंगन जैसी उन्नत तकनीक अपनाकर उन्होंने न केवल उत्पादन बढ़ाया, बल्कि कम लागत में लाखों की आय का नया रास्ता भी तैयार किया।

ग्राफ्टेड बैंगन तकनीक में दो अलग-अलग पौधों को जोड़कर एक मजबूत और उच्च गुणवत्ता वाला पौधा तैयार किया जाता है। इससे उपज अधिक मिलती है, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और मिट्टी जनित समस्याएं काफी कम हो जाती हैं। पहले पारंपरिक धान खेती में कम लाभ से परेशान मुरलीधर साहू ने उद्यानिकी विभाग से सलाह लेकर अपनी एक हेक्टेयर भूमि में ग्राफ्टेड बैंगन की खेती शुरू की। विभाग द्वारा समय-समय पर दी गई तकनीकी सलाह, प्रशिक्षण और जैविक पद्धतियों ने उनका आत्मविश्वास बढ़ाया।

राष्ट्रीय बागवानी मिशन योजना के तहत उन्हें 20 हजार रुपये का अनुदान मिला, जिससे आवश्यक संसाधनों की व्यवस्था सुगमता से हो सकी। पहले जहां उनकी उपज 80–85 क्विंटल तक सीमित थी, वहीं नई तकनीक अपनाने के बाद उत्पादन बढ़कर 150–170 क्विंटल तक पहुंच गया। बाज़ार में उचित दाम मिलने से इस सीजन में उनकी कुल आय 4.5 लाख रुपये और शुद्ध लाभ करीब 3 लाख रुपये रहा, जो परंपरागत खेती से तीन गुना ज्यादा है।

मुरलीधर साहू की सफलता से आसपास के गांवों के किसान भी प्रेरित हुए हैं। जैविक विधियों, कम लागत और अधिक उत्पादन के मॉडल को देखकर अनेक किसान उद्यानिकी फसलों की ओर आकर्षित हो रहे हैं। उनकी कहानी साबित करती है कि सही मार्गदर्शन, सरकारी योजनाओं का लाभ और आधुनिक तकनीक का उपयोग ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में बड़ा कदम साबित हो सकता है।

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