बलरामपुर। जिले में सामने आए फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र घोटाले की जांच अब नए मोड़ पर पहुंच चुकी है, लेकिन जांच में शासकीय कर्मचारी ही सहयोग नहीं कर रहे। प्रशासन द्वारा 27 कर्मचारियों को 18 जुलाई को रायपुर मेडिकल बोर्ड में वेरिफिकेशन के लिए बुलाया गया था, लेकिन कई तय तारीख पर अनुपस्थित रहे।
सूत्रों के अनुसार, इन 27 में से 20 कर्मचारियों ने बिलासपुर हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी है, 4 की जांच पूरी हो चुकी है और 2 का तबादला हो चुका है। यानी अब भी 21 कर्मचारी जांच से बचते दिख रहे हैं। इस लापरवाही को गंभीर मानते हुए जिला प्रशासन ने संबंधित विभागों को विभागीय कार्रवाई के निर्देश भेजे हैं।
कलेक्टर कुंदन कुमार के नेतृत्व में मामले की जांच जारी है और दिव्यांग सेवा संघ के साथ समन्वय बैठकें भी की जा रही हैं। इस घोटाले में बड़ा सवाल यह है कि फर्जी प्रमाण पत्र बनवाने की साजिश किसने रची? क्या इसमें दलालों और कुछ चिकित्सा अधिकारियों की मिलीभगत है? अब तक किसी दलाल या डॉक्टर पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
छत्तीसगढ़ दिव्यांग सेवा संघ ने इस पर नाराजगी जताते हुए कहा है कि केवल कर्मचारियों पर कार्रवाई न हो, बल्कि पूरे फर्जीवाड़ा नेटवर्क की जांच होनी चाहिए। जनता अब जानना चाहती है कि मास्टरमाइंड तक कब पहुंचेगी जांच? क्या प्रशासनिक दबाव जांच को धीमा कर रहा है? अब जरूरत है कि दोषियों को चिन्हित कर सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए ताकि ऐसे घोटालों पर लगाम लगे।