
नितिन@रायगढ़। धार्मिक कार्यक्रम में भाग लेने आये पूरी के आदि शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान पत्रकारों से चर्चा की।
बातचीत के दौरान श्री शंकराचार्य ने भाजपा नेत्री के विवादित बयान को लेकर कहा कि भाजपा प्रवक्ता नूपुर शर्मा के अलावा देश की राजनीति से जुड़े लोगों को अपनी किसी भी बात को बोलते समय सावधानी अवश्य बरतनी चाहिए। मामले को लेकर उन्होंने कहा कि तब द्रोपदी ने भी सत्य ही कहा था लेकिन महाभारत हो गया था,अब इनके बयान के बाद देश में गृह युद्ध जैसे हालात बनते दिख रहे हैं। राजनीतिज्ञ अगर धर्म की आड़ लेकर हल्की बयान बाजी करेगे तो ऐसी स्थितियां ही बनेगी।
हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि नूपुर शर्मा ने जो कहा वो बात उनकी ही पुस्तक में लिखी है, उसने अनुवाद कर बताया है जिसे दूसरे पक्ष द्वारा इसे आक्षेप के रूप में ले लिया गया। उन्होंने कहा कि जब नूपुर शर्मा के ऊपर कार्रवाई हो चुकी है तो दूसरे पक्ष को संयम दिखाना चाहिये। उन्होंने यह भी कहा कि ऐतिहासिक तथ्यों की जानकारी होना अच्छी बात है लेकिन उसे बोलते समय कैसे कहा जाय यह भी मायने रखता है। उसी संबंध में द्रोपदी का भी उदाहरण उनके द्वारा दिया गया।
जब उनसे बनारस में हुए धर्म संसद के बारे में सवाल किया गया, जिसमें साधुओं द्वारा सड़क पर उतरने की बात कही गयी थी, उस पर जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि विश्व हिंदू परिषद ने शंकराचार्यों के हस्तक्षेप को कमतर करने के लिए धर्म संसद की स्थापना की वहीं कांग्रेस के नेहरू जी द्वारा अखाड़ा परिषद बनाया गया था। उन्होंने कहा कि ऐसे में कोई भी धर्म संसद जैसी संस्था का महत्व क्या है ?