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सुशासन संवाद : नवाचार, पारदर्शिता और डिजिटल प्रशासन की दिशा में निर्णायक कदम

रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की अध्यक्षता में आज मंत्रालय महानदी भवन के पंचम तल स्थित ऑडिटोरियम में ‘सुशासन संवाद’ कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर वन मंत्री केदार कश्यप, स्कूल शिक्षा मंत्री गजेन्द्र यादव, मुख्य सचिव विकास शील, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव सुबोध कुमार सिंह, विभागीय सचिव, कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक, डीएफओ सहित राज्य के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री साय ने कहा कि नवाचार जनसेवा के केंद्र में हों और नागरिकों की सुविधा बढ़ाएं। उन्होंने कलेक्टरों को निर्देश दिए कि नवाचारों में जनता की राय और फीडबैक शामिल किया जाए तथा उनकी स्थायित्व और उपयोगिता सुनिश्चित की जाए। उन्होंने लोक सेवा गारंटी अधिनियम के तहत सेवाओं की समयबद्ध और गुणवत्तापूर्ण पूर्ति पर विशेष बल दिया और लंबित मामलों के समाधान में जवाबदेही सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।

कार्यक्रम में ई-ऑफिस प्रणाली के शत-प्रतिशत क्रियान्वयन, ई-डिस्ट्रिक्ट पोर्टल पर डिजिटल सेवाओं का विस्तार और नागरिक शिकायतों के पारदर्शी निराकरण को मुख्य फोकस बनाया गया। मुख्यमंत्री ने फील्ड विजिट और निरीक्षण को स्थायी प्रक्रिया बनाने पर जोर देते हुए कहा कि योजनाओं की वास्तविक स्थिति जानने के लिए अधिकारियों को जमीन पर जाकर ही निरीक्षण करना होगा।

इस अवसर पर रायपुर, नारायणपुर, दंतेवाड़ा, जशपुर और उदंती वन अभयारण्य के नवाचारों की प्रस्तुति दी गई। मुख्यमंत्री ने जिलों में हो रहे नवाचारों पर आधारित ‘कॉफी टेबल बुक’ का विमोचन किया और महुआ केंद्र ऑफ एक्सीलेंस, ब्लॉकचेन तकनीक से भूमि अभिलेख डिजिटाइजेशन तथा नक्सल गतिविधियों की ट्रैकिंग जैसी पहलों की सराहना की।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सुशासन निरंतर सुधार की प्रक्रिया है और प्रत्येक अधिकारी को तकनीक, अनुशासन और जनता के साथ संवाद के माध्यम से प्रशासन की संस्कृति मजबूत करनी होगी। उन्होंने सभी कलेक्टरों से अपेक्षा जताई कि वे योजनाओं का वास्तविक प्रभाव देखें और छत्तीसगढ़ को 2047 तक विकसित भारत की अग्रिम पंक्ति में खड़ा करें।

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