इस कैदी की पेंटिंग की जेल के साथ साथ जेल से बाहर के लोग भी हुए मुरीद….

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शिव शंकर साहनी@अंबिकापुर. कला किसी की मोहताज नहीं होती,ऐसा कर दिखाया है अंबिकापुर सेंट्रल जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे रंजीत सारथी ने, कैदी की पेंटिंग से जेल ही नही जेल से बाहर के लोग भी इस पेंटिंग के मुरीद है..
वीओ01जशपुर जिले के रहने वाले रंजीत ने कुछ साल पहले पारिवारिक विवाद में अपने दादा की हत्या कर दी थी..उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाए जाने के बाद साल 2019 में अंबिकापुर सेंट्रल जेल लाया गया था..तब से वह आजीवन कारावास की सजा काट रहा है..पहले वे पेंटिंग सीखते थे..लेकिन सेंट्रल जेल अंबिकापुर में आने के बाद जेल प्रशासन की प्रेरणा से उन्हें और अच्छी तरह से प्रशिक्षित किया गया, जिसके बाद उनके हाथों का जादू काम करने लगा..वह उन्हीं हाथों से कई तरह की आकर्षक पेंटिंग बना रहा है जिन पर खून के धब्बे थे..आज जेल की दीवारों के कार्यालय में रंजीत के हाथों से बनाई गई पेंटिंग भी लगाई गई हैं।
बाईट01रंजीत सारथी_कैदी
वीओ02अंबिकापुर सेंट्रल जेल के अधीक्षक राजेन्द्र गायकवाड़ ने बताया कि जेल में जो भी कैदी आते है उन्हें अपनी दक्षता के अनुसार काम दिया जाता है..और जिन सामानों की आवश्यकता होती हैं..उसे जेल प्रबंधन द्वारा पूरा भी किया जाता है..और जो भी कैदी काम करता है उसे मेहताना के तौर पर प्रतिदिन के हिसाब से 60 रुपए दिए जाते है..जिससे कि कैदी सजा पूरी कर घर वापस जाता है तो उसे पूरे रुपए भी दिए जाते है और कैदियों को इतनी दक्षता सिख लेते है कि किसी भी तरह से उन्हें रोजगार के लिए भटकना नही पड़ता है..
बाईट02राजेन्द्र गायकवाड़जेल अधीक्षकसेंट्रल जेल अंबिकापुर
वीओ03बहरहाल रंजीत की पेंटिंग की हर कोई तारीफ कर रहा है.. जब लोगों को पता चलता है कि यह पेंटिंग किसी और ने नहीं बल्कि हत्या के मामले में सजा काट रहे एक कैदी ने बनाई है,तो लोग उस कैदी से मिलने और उसकी तारीफ करने की इच्छा जाहिर करते हैं..रंजीत न केवल कागज के पोस्टरों पर बल्कि चिकने पत्थरों पर भी ब्रश और ब्रश के जरिए अपने हाथों से रंग भरकर आकर्षक लुक देते हैं..जिन हाथों से खून था, आज वो हाथ कुशल हो गए हैं।