गरियाबंद

Gariyaband: कैंसर से पैर गंवाने के बाद भी नही डगमगाया हौसला,आज भी नकली पैर से मेहनत कर करते है परिवार का भरण-पोषण

रवि तिवारी@देवभोग।  (Gariyaband) मन के हारे हार है,मन के जीते जीत। यदि हौसले में मजबूती है तो चट्टान भी हो जाये ढेर। हां ये कहावत इन दिनों धोबेनमाल के रहने वाले नवल किशोर यादव पर फिट बैठती है। नवल ने कैंसर से एक पैर ग वा दिया,लेकिन उन्होंने अपने आपको कभी टूटने नही दिया। उनका जिंदगी जीने का हौसला शुरू से ही बुलंद रहा,जिसके बदौलत आज वे नकली पैर लगाकर जिंदगी की पटरी को फिर से वही अंदाज़ में फर्राटेदार तरीके से दौड़ा भी रहे है। नवलकिशोर आज भी उसी हँसमुख अंदाज़ से लोगों से मिलकर जवाब देते है,और कहते है वे भी औरों की तरह सामान्य है,उन्हें आज भी जिंदगी जीने में मज़ा आ रहा है। नवल कहते है कि उनके घर की जिम्मेदारी आज भी उनके कंधे पर है,वे पहले की तरह कृषि कार्य कर घर के पूरे काम भी खुद ही करते है। वहीं कहते है कि जहाँ संघर्ष है,वही जिंदगी है।

हमेशा अपने आपको मानो मजबूत

साल 2013 में सड़क हादसे के दौरान नवल किशोर का दायां पैर टूट गया था, वही बाया पैर चोटिल हो गया था। इस दौरान उन्होंने इलाज करवाया तो दाया पैर ठीक हो गया,जबकि बाया पैर का चोट ठीक होने का नाम ही नही ले रहा था,समय के साथ बाया पैर का जख्म नासूर हो गया। वही सात साल तक जख्म नही भरा तो जख्म ने कैंसर का रूप ले लिया। इस दौरान डॉक्टर ने कहा कि जिंदगी जीना है तो बाया पैर को घुटने के नीचे तक काटना पड़ेगा। डॉक्टर की बात सुनकर कुछ देर तक नवलकिशोर का हौसला डगमगाया जरूर, लेकिन उन्होंने उसी पल ठान लिया कि परिस्थिति कुछ भी हो वे जिंदगी से हार नही मानेगें।

नकली पैर के भरोसे कर रहे जीवन यापन

 आज छह महीने से नवल किशोर नकली पैर के भरोसे जीवन यापन कर रहे है। नवल कहते है कि विपरीत परिस्थितियों से लड़कर बहुत कड़वे अनुभव मिलते है,यही अनुभव से जिंदगी को फिर से एक नए सिरे से जिया जा सकता है। वही नवल ने दिव्याग भाई-बहनों के लिए भी संदेश दिया है कि कभी भी दिव्याग अपने आपको कमजोर नही समझे,यदि आप दृढ़ इच्छाशक्ति से आगे बढ़ते चलेंगे तो आपकी जिंदगी औरों की तरह सामान्य लगेगी।

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