“नेहरू-इंदिरा की नरमी से मोदी की आक्रामक रणनीति तक,पाकिस्तान पर बदली भारत की नीति”

दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज 17 सितंबर 2025 को 75 वर्ष के हो गए। उनकी राजनीतिक यात्रा का सबसे खास पहलू पाकिस्तान के प्रति उनका कड़ा और स्पष्ट रुख रहा है। आजादी के बाद दशकों तक भारत की नीति मेल-मिलाप और संयम पर टिकी रही, लेकिन 2014 के बाद मोदी ने इसे पूरी तरह बदल दिया। उन्होंने स्पष्ट संदेश दिया कि अब आतंकवाद और उसके समर्थकों के प्रति जीरो टॉलरेंस अपनाया जाएगा।
पूर्व प्रधानमंत्री नेहरू से लेकर मनमोहन सिंह तक, पाकिस्तान के साथ भाईचारे और शांति की कोशिशें होती रहीं। 1971 की जीत के बाद भी 90 हजार पाकिस्तानी युद्धबंदियों को बिना किसी समझौते के छोड़ा गया। 2008 के मुंबई हमले के बाद भी पाकिस्तान का नाम लेने से परहेज किया गया। लेकिन मोदी ने इन सभी परंपराओं को तोड़कर आक्रामक नीति अपनाई।
मोदी सरकार ने आतंकवादियों और उनके पनाहगाहों के खिलाफ सीधा पलटवार किया। 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक और 2019 की बालाकोट एयर स्ट्राइक ने भारत की नई नीति को स्पष्ट कर दिया। पाकिस्तान की परमाणु धमकियों को भी नजरअंदाज करते हुए मोदी ने कहा कि “खून और पानी साथ नहीं बह सकते” और सिंधु जल संधि पर पुनर्विचार किया।
कूटनीतिक स्तर पर पाकिस्तान को अलग-थलग करने और वैश्विक मंचों पर उसे आतंकवाद का समर्थक देश साबित करने की कोशिश लगातार जारी रही। वहीं, मोदी ने पाकिस्तान की जनता से आतंकवाद छोड़ शांति और विकास का रास्ता अपनाने की अपील भी की।
मोदी के 75वें जन्मदिन पर यह साफ है कि उनकी पाकिस्तान नीति ने भारत की विदेश नीति की दिशा ही बदल दी है। अब भारत किसी भी कीमत पर अपनी सुरक्षा और हितों से समझौता करने को तैयार नहीं है।