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भारत माला प्रोजेक्ट घोटाले में चार आरोपियों को हाईकोर्ट से जमानत

मुख्य न्यायाधीश की पीठ ने सुनाया महत्वपूर्ण फैसला

रायपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने भारत माला प्रोजेक्ट घोटाले में आरोपियों को बड़ी राहत दी है। गुरुवार को मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा की एकल पीठ ने इस मामले में आरोपी हरमीत खनूजा, विजय जैन, उमा तिवारी और केदार तिवारी को नियमित जमानत मंजूर कर दी। कोर्ट का यह फैसला अब तक की सबसे अहम कानूनी राहतों में गिना जा रहा है, जिससे आरोपियों और उनके परिजनों ने राहत की सांस ली है।

दलीलों पर आधारित न्यायिक निर्णय

आरोपियों की ओर से पेश हुए अधिवक्ता मनोज परांजपे और सरफराज खान ने कोर्ट में यह दलील दी कि आरोपियों के खिलाफ जमानत न देने का कोई वैधानिक आधार नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि आरोपियों का आपराधिक इतिहास नहीं रहा और जांच एजेंसी का मामला तथ्यात्मक रूप से कमजोर है। राज्य सरकार और ईओडब्ल्यू की ओर से उप महाधिवक्ता सौरभ कुमार पांडे ने विरोध करते हुए अपना पक्ष रखा, लेकिन न्यायालय ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने और दस्तावेज़ों की जांच के बाद यह साफ किया कि यह अंतरिम नहीं बल्कि नियमित जमानत है।

परिजनों की प्रतिक्रिया और न्याय में विश्वास

जमानत मिलने के बाद परिजनों ने इस निर्णय को न्याय की जीत बताया। उन्होंने कहा कि उनका हमेशा यह विश्वास रहा कि सत्य परेशान हो सकता है, लेकिन पराजित नहीं। न्यायालय ने एक बार फिर साबित कर दिया कि कानून के दायरे में सबको न्याय मिल सकता है।

ईओडब्ल्यू की कार्रवाई पर उठे सवाल

इस निर्णय के बाद भारत माला प्रोजेक्ट मामले में आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) की जांच और गिरफ्तारी प्रक्रिया पर सवाल उठने लगे हैं। कई विशेषज्ञों का मानना है कि यदि जमानत आसानी से मिल गई तो जांच एजेंसी की तैयारी पर संदेह उठता है। आने वाले दिनों में कोर्ट के विस्तृत आदेश और चार्जशीट के जरिए इस पर और रोशनी पड़ सकती है।

क्या है भारत माला प्रोजेक्ट घोटाला?

भारत माला योजना भारत सरकार की प्रमुख सड़क निर्माण योजना है, जिसका उद्देश्य देशभर में हाईवे और एक्सप्रेसवे का नेटवर्क बनाना है। छत्तीसगढ़ में इस योजना के अंतर्गत भ्रष्टाचार, नियमों की अनदेखी और मिलीभगत के आरोपों के चलते कई नामी लोगों की गिरफ्तारी हुई थी। EOW ने इस घोटाले की जांच शुरू की थी, जिसके तहत ये चार आरोपी भी पकड़े गए थे।

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