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फॉरेस्ट फंड में करोड़ो का बेजा खर्चा; कैग की रिपोर्ट सामने आई, तो मंत्री ने बिठाई जांच

देहरादून। उत्तराखंड में फॉरेस्ट कंजर्वेशन फंड का गलत इस्तेमाल होने का खुलासा हुआ है। CAG (कंट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल) की रिपोर्ट के अनुसार, इस फंड का इस्तेमाल आईफोन और लैपटॉप खरीदने में किया गया।

रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि यह खर्च बिना किसी योजना और अनुमति के किए गए थे। यह रिपोर्ट 21 फरवरी को उत्तराखंड विधानसभा के बजट सत्र के दौरान पेश की गई थी। वन मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि इस मामले की जांच के आदेश दे दिए गए हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि 2017 से 2022 तक किए गए वृक्षारोपण में से सिर्फ 33% पौधे ही जीवित रह पाए, जबकि फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टिट्यूट के मानकों के अनुसार, वृक्षारोपण के बाद 60-65% पौधों का जीवित रहना चाहिए था।

अस्पतालों में एक्सपायर दवाइयां और डॉक्टरों की कमी

रिपोर्ट में सरकारी अस्पतालों में एक्सपायर दवाइयों के स्टॉक का भी जिक्र किया गया है। कम से कम तीन अस्पतालों में 34 एक्सपायर दवाइयां पाई गईं, जिनमें से कुछ दवाइयां तो 2 साल पहले ही एक्सपायर हो गई थीं। इसके अलावा, पहाड़ी इलाकों में सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की 70% और मैदानी इलाकों में 50% पोस्ट खाली हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि 250 डॉक्टरों को लॉकडाउन के दौरान वॉयलेशन करने के बावजूद काम करने की अनुमति दी गई थी।

रिपोर्ट में ये खुलासे किए गए

  • 2017 से 2021 तक सरकार की इजाजत के बिना 607 करोड़ रुपए खर्च कर दिया गया। 
  • जंगल में जमीन ट्रांसफर के नियमों का उल्लंघन किया गया। 
  • कैंपा ने 14 करोड़ का फंड दूसरी गतिविधियों में खर्च किया। 
  • फंड का इस्तेमाल कानूनी शुल्क, व्यक्तिगत यात्रा, आईफोन, लैपटॉप, फ्रिज, और कार्यालय आपूर्ति के लिए खर्च किया गया। 
  • कैंपा फंड का इस्तेमाल एक साल के भीतर होना था, लेकिन इसका इस्तेमाल 8 साल तक किया गया। 
  • केंद्र की योजनाओं को डीएफओ ने मंजूरी नहीं दी।
  •  वहीं, प्रधान सचिव के आवास के जीर्णोद्धार, सरकारी क्वार्टरों के रखरखाव और वाहन खरीद जैसे गैर-पर्यावरणीय खर्चों पर 12.26 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे।
  • अस्वीकृत परियोजनाओं पर 2.13 करोड़ रुपये खर्च किए गए, जबकि स्वीकृत सीमा से परे 3.74 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे।  

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