छत्तीसगढ़ में पहली बार इंजीनियरिंग छात्रों को पढ़ाई जाएगी श्रीमद्भागवत गीता

नई शिक्षा नीति के तहत तकनीकी शिक्षा में बड़ा बदलाव, 2025-26 से नया सिलेबस लागू

रायपुर। छत्तीसगढ़ के इंजीनियरिंग कॉलेजों में अब तकनीकी शिक्षा के साथ भारतीय संस्कृति और परंपरा की शिक्षा भी दी जाएगी। राज्य में पहली बार इंजीनियरिंग छात्रों के लिए श्रीमद्भागवत गीता, प्राचीन गणित, खगोल विज्ञान, ज्योतिष और संविधान जैसे विषयों को पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है। यह बदलाव 2025-26 के नए शैक्षणिक सत्र से लागू किया जाएगा। उच्च शिक्षा विभाग द्वारा तकनीकी शिक्षा में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) को लागू करने की दिशा में यह एक बड़ा कदम माना जा रहा है।

नई व्यवस्था के तहत इंजीनियरिंग के चार साल के पाठ्यक्रम में चार नए विषय जोड़े जा रहे हैं। पहले सेमेस्टर में “फाउंडेशन कोर्स ऑफ एंसिएंट इंडियन नॉलेज सिस्टम”, दूसरे सेमेस्टर में “श्रीमद्भगवत गीता – मैनुअल ऑफ लाइफ एंड यूनिवर्स”, तीसरे सेमेस्टर में “इंडियन ट्रेडिशनल नॉलेज साइंस एंड प्रैक्टिसेस” और चौथे सेमेस्टर में “इंडियन कल्चर एंड कांस्टीट्यूशन ऑफ इंडिया” को पढ़ाया जाएगा। इसका उद्देश्य छात्रों को न केवल एक कुशल इंजीनियर बल्कि एक नैतिक और जिम्मेदार नागरिक बनाना है।

इसके साथ ही, पाठ्यक्रम में स्किल आधारित विषयों को भी जोड़ा गया है। अब छात्रों को पहले और दूसरे वर्ष में तकनीकी दक्षता बढ़ाने वाले व्यावहारिक विषय भी पढ़ाए जाएंगे। उदाहरण के लिए, मैकेनिकल इंजीनियरिंग में “स्मार्ट मैन्युफैक्चरिंग” जैसे कौशल आधारित विषय शामिल किए जाएंगे। नई शिक्षा नीति के तहत मल्टीपल एंट्री और एग्जिट सिस्टम भी लागू किया जाएगा। अब एक साल की पढ़ाई पूरी करने पर छात्र सर्टिफिकेट, दो साल बाद डिप्लोमा और चार साल की पढ़ाई पूरी करने पर बीटेक की डिग्री प्राप्त कर सकेंगे।

इसके अलावा, अब ब्रांच के अनुसार फिजिक्स पढ़ाई जाएगी। पहले सभी छात्रों को एक ही प्रकार की फिजिक्स पढ़ाई जाती थी, लेकिन अब इलेक्ट्रिकल और मैकेनिकल के छात्रों के लिए अलग-अलग पाठ्यक्रम तैयार किए गए हैं। इस तरह, छत्तीसगढ़ की तकनीकी शिक्षा प्रणाली में यह बदलाव छात्रों के सर्वांगीण विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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