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बाढ़ से तबाही, पीएम मोदी करेंगे दौरा: पंजाब के 2000 गांव डूबे, कई राज्यों में संकट

दिल्ली। उत्तर भारत के कई राज्य इन दिनों बाढ़ और अतिवृष्टि से जूझ रहे हैं। सबसे ज्यादा असर पंजाब में दिखाई दिया है, जहां करीब 2000 गांव जलमग्न हो गए। सतलुज और ब्यास नदियों के उफान ने हालात गंभीर बना दिए हैं। भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड के चेयरमैन मनोज त्रिपाठी ने बताया कि इस बार पौंग बांध में इतिहास की सबसे अधिक बारिश दर्ज हुई है। 1988 के मुकाबले इस बार कहीं ज्यादा पानी जमा हुआ है। उन्होंने कहा कि अगर बांध न होते, तो जून से ही पंजाब में बाढ़ आ जाती।

मौसम विभाग ने फिलहाल भारी वर्षा की संभावना से इनकार किया है। वहीं, उत्तराखंड, हिमाचल और जम्मू-कश्मीर में बारिश थमने के बाद राहत-बचाव कार्य तेज हुए हैं। हिमाचल में भूस्खलन और बाढ़ से कई सड़कें बंद हैं और लोग अब भी लापता हैं। कुल्लू में मलबे से तीन शव मिले, जबकि किन्नौर के लिप्पा गांव में कृत्रिम झील बनने से नया खतरा मंडरा रहा है।

हरियाणा में भी नदियों के उफान से हालात बिगड़े हैं। पहली बार सेना को मोर्चा संभालना पड़ा है। यमुनानगर में हथिनीकुंड बैराज पर जलस्तर खतरे के निशान से नीचे आने पर पानी छोड़ा गया है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जल्द ही बाढ़ प्रभावित राज्यों का दौरा करेंगे। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि वह स्थिति का जायजा लेंगे और राहत प्रयासों की समीक्षा करेंगे। उधर, चारधाम यात्रा पर लगी रोक हटाई जा रही है, जबकि जम्मू-कश्मीर में झेलम और वुलर झील के बढ़ते जलस्तर से दहशत है। राजस्थान, अरुणाचल और अन्य राज्यों में भी बाढ़ का खतरा बरकरार है। लगातार हो रही तबाही ने प्रशासन और नागरिकों की चिंता बढ़ा दी है।

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