मिट्टी,पत्थर,रेत को धोकर सोने के कण चुनने वाले परिवार सोझारिया, 100 साल से आर्थिक स्थिति जस की तस.. वीडियो

बिप्लब कुण्डू@पखांजुर। सोने के व्यवसायी करोड़ों रुपये आसानी से कमाई कर लेते है, लेकिन दुर्गूकोंदल विकासखंड में मिट्टी, पत्थर, रेत को धोकर सोने की कण कण चुनने वाले सोनझरिया परिवार की स्थिति की स्थिति 100 साल से सोना इकट्ठा करने के बाद भी आर्थिक रूप से आज तक मजबूत नहीं हो पाई है। ये सोनझरिया वर्ग के लोग पारंपरिक सामाग्रियों का उपयोग कर नदी, नालों के रेत, मिट्टी, कण को धोते हैं, और सोने के मिट्टी मिश्रित कंण को गलाकर शुद्ध सोना प्राप्त करते हैं और वनोपज की तरह बाजार खर्च के साप्ताहिक बाजारों में बेचकर अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं।
आधुनिकता की दौर में भी इन्हें सोना इकट्ठा करने के लिए शासन से मदद नहीं मिली, और न ही प्रशिक्षण मिला है, सोनझरिया परिवार चाहते हैं, कि प्रशिक्षण भी मिले और सोना संग्रहण की कोई सामाग्री मिले ताकि नदियों के तट से भी अधिक से अधिक सोना संग्रहण कर बड़ी आमदानी कमा सकें।
ग्राम फित्तेफुलचुर निवासी सोनझरिया हजारी मंडावी, देवांगन मंडावी, सुरेंद्र टेकाम, अहेलसिंह मंडावी ने बताया कि वे इन दिनों पुड़ो मिचगांव नाला में कैंप बनाकर आसपास के नदी नालों में सोना इकट्ठा कर रहे हैं। सोना इकट्ठा करने कोई आधुनिक मशीन या सामाग्री नहीं है, इनके पास खम्हार लकड़ी का 5 सामाग्री है, फल्ला, दोनी, खारी, पखनों, मिझारी है जिससे सोना का कण निकलते हैं।