माओवाद के आतंक का अंत… हिड़मा ढेर, बस्तर में नक्सल मोर्चे पर सुरक्षा बलों की बड़ी जीत

रायपुर। छत्तीसगढ़ में माओवादी हिंसा के सबसे कुख्यात चेहरे हिड़मा का अंत देश के माओवादी विरोधी अभियान में निर्णायक मोड़ माना जा रहा है।
मंगलवार को सुकमा-आंध्र प्रदेश की सीमा पर हुई मुठभेड़ में सुरक्षा बलों ने छह माओवादियों को मार गिराया, जिनमें हिड़मा, उसकी पत्नी राजे और 25 लाख के इनामी एसजेडसीएम टेक शंकर की मौत की पुष्टि हुई है। यह ऑपरेशन आंध्र प्रदेश की ग्रेहाउंड टीम ने अंजाम दिया, जिसे सुरक्षा एजेंसियां अब तक की सबसे बड़ी सफलता बता रही हैं।
हिड़मा लंबे समय से बस्तर में माओवादियों का मुख्य चेहरा था। बसव राजू, गुड़सा उसेंडी, कोसा जैसे शीर्ष नेताओं के मारे जाने और कई वरिष्ठ कैडरों के आत्मसमर्पण के बाद संगठन की कमान काफी हद तक उसी पर टिक गई थी। वह पीएलजीए की बटालियन नंबर-1 का प्रमुख और CPI (माओवादी) की केंद्रीय समिति का सबसे युवा सदस्य था। उसके सिर पर कुल 50 लाख का इनाम घोषित था।
झीरम घाटी नरसंहार, 2010 के दंतेवाड़ा हमले और 2021 के सुकमा-बीजापुर मुठभेड़ जैसे 26 बड़े हमलों में उसकी सहभागिता ने उसे देश का सबसे खतरनाक नक्सली कमांडर बना दिया था। बटालियन कमांडर से केंद्रीय समिति सदस्य बनने तक हिड़मा ने पिछले एक दशक में माओवादी गतिविधियों का सबसे आक्रामक चेहरा प्रस्तुत किया।
कुछ ही दिन पहले उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा हिड़मा के गांव पूवर्ती पहुंचे थे और उसकी मां से मिलकर उसे हिंसा छोड़ने की अपील की थी। सरकार ने मार्च 2026 तक माओवादी हिंसा के पूर्ण उन्मूलन का लक्ष्य निर्धारित किया है।
हिड़मा का मारा जाना न सिर्फ सुरक्षा बलों के मनोबल को मजबूत करेगा, बल्कि बस्तर में माओवादी नेटवर्क की रीढ़ तोड़ने वाला कदम साबित होगा। अब इसकी जगह पूवर्ती गांव के ही बारसे देवा को नया कमांडर बनाए जाने की खबर सामने आई है। यह मुठभेड़ माओवाद के अंत की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि मानी जा रही है।





