StateNewsदेश - विदेश

हाथियों की घर वापसी: मध्य प्रदेश में 100 साल बाद फिर बसे 97 जंगली हाथी, छत्तीसगढ़ से आए और यहीं बना लिया आशियाना

भोपाल। सुबह की पहली किरण के साथ बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के पनपथा रेंज में हाथियों का झुंड जंगल की खामोशी तोड़ देता है। जमीन पर बने गहरे पदचिह्न, टूटी झाड़ियां और दूर तक गूंजती चिंघाड़ें इस बात का सबूत हैं कि अब ये हाथी केवल गुजरते मेहमान नहीं, बल्कि इस जंगल के स्थायी निवासी बन चुके हैं। यह वही मध्य प्रदेश है, जहां से करीब 100 साल पहले हाथी पूरी तरह लुप्त हो गए थे।

‘स्टेटस ऑफ एलीफेंट इन इंडिया’ और ‘एलीफेंट सेंसस 2021-2025’ की रिपोर्ट के अनुसार, वर्तमान में मध्य प्रदेश के जंगलों में 97 जंगली हाथी मौजूद हैं। ये मुख्य रूप से बांधवगढ़ और संजय दुबरी टाइगर रिजर्व में रह रहे हैं। इतिहास बताता है कि 16वीं–17वीं सदी तक प्रदेश में हाथियों की बड़ी आबादी थी, लेकिन शिकार, जंगलों की कटाई और मानव दखल के कारण यह संख्या घटती गई और वर्ष 1925 में हाथियों की संख्या शून्य दर्ज हुई।

करीब एक सदी बाद 2017 में छत्तीसगढ़ से 7 हाथियों का छोटा झुंड सीधी, सिंगरौली और शहडोल होते हुए संजय दुबरी टाइगर रिजर्व पहुंचा। आम तौर पर ऐसे झुंड लौट जाते हैं, लेकिन यह यहीं ठहर गया। इसके अगले वर्ष 2018 में लगभग 40 हाथियों का एक और बड़ा दल शहडोल के रास्ते बांधवगढ़ पहुंचा और यहीं बस गया। आज अकेले बांधवगढ़ में लगभग 50 हाथी हैं।

बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर अनुपम सहाय के अनुसार, यहां सालभर पानी, पर्याप्त घास और घना जंगल उपलब्ध है। आम लोगों की आवाजाही कम होने से हाथियों को सुरक्षित और शांत माहौल मिला है। वन विभाग ने सुरक्षा के लिए कैंपों की सोलर फेंसिंग, निगरानी और पेट्रोलिंग बढ़ा दी है।

हालांकि, 200 वर्ग किलोमीटर लंबे कॉरिडोर में फैले 100 से अधिक गांव और नीचे लटकती बिजली लाइनें अब भी चुनौती बनी हुई हैं, जिन्हें सुरक्षित बनाने के प्रयास तेज कर दिए गए हैं।

Related Articles

Back to top button