युक्तियुक्तकरण नीति का असर: नक्सल प्रभावित जिले में फिर गूंजे शिक्षा के स्वर

रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार की युक्तियुक्तकरण नीति का असर अब दूरस्थ और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में भी दिखाई देने लगा है। मोहला-मानपुर-अम्बागढ़ चौकी जिले के आदिवासी बहुल ग्राम कमकासुर की प्राथमिक शाला, जो पिछले एक साल से शिक्षकविहीन थी, वहां अब फिर से बच्चों की कक्षाएँ शुरू हो गई हैं और ‘क, ख, ग’ की गूंज गांव में सुनाई देने लगी है।
मोहला जिला मुख्यालय से 70 किमी दूर स्थित यह क्षेत्र लंबे समय से नक्सल गतिविधियों और अव्यवस्थित शैक्षणिक व्यवस्था से प्रभावित रहा है। गांव की सरकारी प्राथमिक शाला में 14 बच्चे नामांकित हैं, लेकिन शिक्षक नहीं होने से पढ़ाई पूरी तरह ठप थी। लगातार मांग के बाद राज्य शासन ने युक्तियुक्तकरण के अंतर्गत एक प्रधान पाठक की नियुक्ति की, जिससे विद्यालय में फिर से शिक्षण कार्य प्रारंभ हो गया। अब बच्चों की उपस्थिति में वृद्धि देखी जा रही है और अभिभावकों का भी विश्वास लौटा है कि उनके बच्चे अब गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पा सकेंगे। गांव में शिक्षा की लौ फिर से जलने पर ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों ने राज्य सरकार का आभार व्यक्त किया है।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में राज्य सरकार ने शिक्षकों का संतुलित और प्रभावी वितरण सुनिश्चित करने के लिए युक्तियुक्तकरण नीति को प्राथमिकता दी है। इसका उद्देश्य है कि हर बच्चे को समान अवसर मिल सके, चाहे वह शहर में हो या सुदूर अंचल में। कमकासुर जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में शिक्षक की तैनाती केवल शिक्षा का पुनरारंभ नहीं, बल्कि सामाजिक समरसता और आत्मविश्वास की नई शुरुआत है। यह पहल राज्य के उज्जवल भविष्य की ओर एक मजबूत कदम है।