त्रिपाल के नीचे शिक्षा, गांव बंडापाल में शिक्षा व्यवस्था को मुंह चिढ़ाती ये तस्वीर…

बिप्लब कुण्डू@कांकेर। जिले के अंतिम छोर में बसे गांव बंडापाल के प्राथमिक -माध्यमिक स्कूल के बच्चे खुले आसमान के नीचे झिल्ली तान कर बनाई गई झोपड़ी में पढ़ने मजबूर है। ठंड, गर्मी और बारिश में भी स्कुल ऐसे ही लगती है.
छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले से हैरान करने वाली तस्वीर सामने आई है। इसे देखकर आप भी कहेंगे कि बच्चों का भविष्य इन दिनों खतरे में नजर आ रहा है। कांकेर जिले के प्राथमिक शाला बंडापाल में तीन साल से एक स्कूल भवन का निर्माण कार्य चल रहा है। समय पर निमार्ण नही होने के चलते बच्चों के लिए पंचायत द्वारा प्लास्टिक झिल्ली तान का स्कूल बना दिया गया है। यह स्कुल भवन कोई और नहीं स्वयं पंचायत निर्माण कार्य करवा रहा है। स्कूल भवन के आभाव में मिडिल क्लास छठवीं, सातवीं और आठवी के स्कूली बच्चे एक ही कमरे में पढने को मजबूर है। स्कूली बच्च्चो की संख्या ज्यादा होने पर यह भी त्रिपाल के झोपडी में पढने को मजबूर होते है.
मीडिल क्लास के सभी बच्चे एक साथ हाल में बैठते है
बंडापाल मीडिल स्कुल कक्षा आठवी का छात्र मनोज कुमार बताते है कि मीडिल क्लास के सभी बच्चे एक साथ हाल में बैठते है. अलग से भवन चाहते है लेकिन नही बनाया है. त्रिपाल के स्कुल में हाई स्कुल और प्रायमरी के बच्चे बैठते है. जगह नही होने के कारण वहाँ बैठ के पढाई करते है. पन्नी के त्रिपाल में बैठ के पढाई करने से गर्मी लगता है. बरसात के दिनों में तो सब एक साथ एक कमरे में बैठ के पढाई करते है. कक्षा दसवी के तुलाराम कुमेटी बताते है कि एक साथ बैठेने के चलते पढ़ाई नही ठीक से हो नहीं पाती.
बंडापाल में प्राथमिक, मीडिल स्कुल, माध्यमिक स्कुल संचालित होता है
एक दसवी के छात्र बताते है कि बंडापाल में प्राथमिक, मीडिल स्कुल, माध्यमिक स्कुल संचालित होता है. छटवी, सातवी आंठ्वी में कुल 50 बच्चे पढाई करते है. नौवी, दसवी के लिए एक एक कमरा है. प्राथमिक स्कुल जर्जर हालत में है. नया भवन बन रहा है लेकिन अभी तीन साल हो गया भवन अधूरा है जिसके कारण प्राथमिक के बच्चो को झिल्ली वाले त्रिपाल लगाकर पढ़ाई करना पड़ता है. मीडिल में ज्यादा बच्चे हो जाते है तो वो बच्च्चे भी त्रिपाल में पढ़ते है. स्तिथि यह है की छोटे बच्चो को भी यही बैठ कर पढ़ना पड़ता है.
जिस पर अंतागढ़ विधायक अनूप नाग का कहना है की क्षेत्र के स्कूलों को लेकर प्रशासन के साथ कार्य योजना बनाकर शासन स्तर तक भेजा गया है व जल्द ही इन समस्याओं का निदान किया जायेगा।