देश - विदेश

Dussehra 2021: पुश्तों से रावण का पुतला बना रहा ये मुस्लिम परिवार, बढ़ रही डिमांड

जौनपुर। (Dussehra 2021) उत्तर प्रदेश के जौनपुर में शाहगंज के भादी खास मोहल्ला के सुब्बन मियां और उनका परिवार दशहरा में दहन होने वाले रावण के पुतले को बना रहा है। इनके द्वारा बनाये गए पुतले की लंबाई लगभग 75 फुट के आसपास है। इनके द्वारा बनाये गए पुतलों की डिमांड भी रहती है।

सुब्बन मियां बताते हैं कि लगभग तीन पीढ़ियों से उनका परिवार यह काम कर रहा है। उनका कहना है कि यह कारीगरी उन्हें विरासत में मिली है।

Crime: महिला से गैंगरेप के बाद गला घोंटकर हत्या, पहचान छिपाने चेहरे को पत्थर से कुचला, पति के एक्सीडेंट की बात कहकर ले गए थे साथ

शाहगंज में बन रहा 75 फ़ीट के रावण का पुतला आकर्षण का केंद्र

जौनपुर मुख्यालय से लगभग 35 किलोमीटर दूर शाहगंज में बन रहा 75 फ़ीट के रावण का पुतला आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। जिस तरह से यह पुतला चर्चा का विषय बना हुआ है वैसी ही कहानी उस पुतले को बनाने वाली परिवार की भी है। यहां के रामलीला की शरुआत 159 साल पहले हुई थी। तब से लेकर आज तक रावण के पुतले सहित राजा दशरथ का दीवान,अशोक वाटिका, मेघनाथ, सुपर्णखा, जटायु, हिरन आदि का पुतला बनाने का काम एक मुस्लिम परिवार करता चला रहा है। (Dussehra 2021) यह परिवार सुब्बन मियां का है।

Congress ने कहा- रमन अपने पुत्र को समझा लेते तो कवर्धा में तनाव होता ही नहीं, जन्मदिन नहीं मनाने का निर्णय घड़ियाली आंसू

पहले उनके पिता कौसर खान रावण बनाने का करते थे काम

(Dussehra 2021) भादी गांव निवासी सुब्बन खां बताते हैं कि उनके पहले उनके पिता कौसर खान रावण के पुतले को बनाने का काम करते थे। उनके पिता से पूर्व उनके दादा इस काम को करते थे। लगभग तीन पीढ़ियों से यह सिलसिला चला आ रहा है। वह बताते हैं कि उन्होंने यह कारीगरी देखते देखते सीख ली है। अपने पिता को पुतला बनाते देखते हुए सुब्बन मियां ने भी पुतला बनाना सीख लिया। वह बताते हैं कि उन्होंने बिल्कुल पढ़ाई लिखाई नहीं की है। उनकी आय का साधन यही है। वह बताते हैं कि मोहर्रम में ताजिया बनाते हैं तो वहीं दशहरा के रावण का पुतला भी बनाते हैं। उनका परिवार भी इस काम में उनका सहयोग करता है।

सुब्बन ने बताया कि तीन पीढ़ियों से यह सिलसिला चला आ रहा है। इस काम मे कमाई कम रह गयी है, लेकिन ये चीजें कई पीढ़ियों से चली आ रही है ऐसे में वह भी इस परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं। उनके 4 बच्चे हैं। वह कहते हैं कि उनके बच्चे पहले इस काम में उनका सहयोग करते थे। लेकिन अब पढ़ाई लिखाई कर अलग अलग काम में वह सभी लग गये हैं। वह बताते हैं कि इस बात के लिए कभी किसी ने उन्हें परेशान नहीं किया।

Related Articles

Back to top button