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परंपरा, भक्ति और उल्लास के संग निकली दोकड़ा की भव्य रथयात्रा, मुख्यमंत्री ने निभाई छेरा-पहरा की रस्म

रायपुर। जशपुर जिले के ऐतिहासिक जगन्नाथ मंदिर, दोकड़ा में रथयात्रा महोत्सव इस वर्ष भी परंपरा, भक्ति और भव्यता के साथ मनाया गया। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और उनकी धर्मपत्नी कौशल्या देवी साय ने मंदिर में भगवान श्री जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की पूजा-अर्चना कर प्रदेशवासियों के सुख, समृद्धि और कल्याण की कामना की। मुख्यमंत्री ने छेरा-पहरा की परंपरागत रस्म निभाते हुए झाड़ू लगाकर रथ का मार्ग बुहारा।

हजारों श्रद्धालु “जय जगन्नाथ” के जयघोष, भजन-कीर्तन और ढोल-नगाड़ों की धुनों के बीच उत्साहपूर्वक रथ खींचते नजर आए। भगवान का रथ मुख्य मार्गों से होता हुआ मौसीबाड़ी पहुंचा, जहां भगवान श्री जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा नौ दिन तक विराजमान रहेंगे। 5 जुलाई को भगवान की भव्य वापसी दोकड़ा मंदिर में होगी। यह परंपरा पुरी धाम, ओडिशा की रथयात्रा के अनुरूप निभाई जाती है। दोकड़ा में रथयात्रा की परंपरा 1942 में स्व. सुदर्शन सतपथी और स्व. श्रीमती सुशीला सतपथी ने शुरू की थी। तब से यह उत्सव श्रद्धा और उत्साह के साथ निरंतर आयोजित होता आ रहा है। समय के साथ यह आयोजन विशाल धार्मिक मेले का रूप ले चुका है, जिसमें हजारों श्रद्धालु भाग लेते हैं।

रथयात्रा के अवसर पर ओडिशा से आईं कीर्तन मंडलियों ने भक्ति संगीत प्रस्तुत कर वातावरण को भक्तिमय कर दिया। इसके साथ ही भगवान जगन्नाथ की महिमा और सांस्कृतिक विविधता को दर्शाती आकर्षक झांकियां भी निकाली गईं। महोत्सव के दौरान धार्मिक अनुष्ठान, सांस्कृतिक कार्यक्रम, भजन-कीर्तन और बच्चों व युवाओं के लिए प्रतियोगिताएं आयोजित की जा रही हैं। दोकड़ा में इस अवसर पर विशाल मेला भी सजा है, जिसमें झूले, स्वादिष्ट व्यंजन, हस्तशिल्प और मनोरंजन के अन्य साधन लोगों को आकर्षित कर रहे हैं। यह आयोजन आस्था, संस्कृति और सामाजिक एकता का प्रतीक बन गया है।

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