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दिवाली का त्योहार कल, इस शुभ मुहूर्त में होगी मां लक्ष्मी की पूजा

दीपावली की रात्रि सबसे ज्यादा अंधेरी होती है. इसको महानिशा की रात्रि भी कहते हैं. ऐसा माना जाता है कि इस रात्रि को महालक्ष्मी पृथ्वी का भ्रमण करती हैं. जो कोई भी इस रात्रि को लक्ष्मी जी का पूजन करता है, उसकी प्रार्थना जरूर स्वीकार होती है. इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा से पूरे साल धनधान्य की प्राप्ति होती है. इस बार दिवाली की तिथि को लेकर बहुत कन्फ्यूजन है. कोई 31 अक्टूबर तो कोई 1 नवंबर को दिवाली बता रहा है. आइए आपको दिवाली की सही तारीख, पूजन विधि और शुभ मुहूर्त के बारे में बताते हैं.

दिवाली की तिथि
दीपावली का निर्धारण सामान्यतः प्रदोषकाल से किया जाता है. इस बार प्रदोष काल 31 अक्टूबर को भी है और 01 नवंबर को भी है. लेकिन1 नवंबर को प्रदोष काल पूर्ण नहीं है. साथ ही, 1 नवंबर को अमावस्या शाम 06.16 बजे समाप्त हो जाएगी. फिर 1 नवंबर को रात में अमवस्या न होने के कारण स्थिर सिंह लग्न और महानिशीथ काल की पूजा संभव नहीं है.

31 अक्टूबर को शाम 03.52 बजे से अमावस्या आरम्भ हो जाएगी. इसमें प्रदोष काल भी मिलेगा और अमावस्या की रात्रि भी होगी. 31 अक्टूबर की रात्रि को सिंह लग्न की पूजा और महानिशीथ काल की पूजा भी की जा सकेगी. इसलिए दीपावली का शुभ पर्व 31 अक्टूबर को मनाना ज्यादा उचित होगा.

कैसे करें दीपावली की पूजा?
दीपावली की शाम पूर्व दिशा या ईशान कोण में एक चौकी रखें. चौकी पर लाल या गुलाबी वस्त्र बिछाएं. पहले गणेश जी की मूर्ति रखें. फिर उनके दाहिने और लक्ष्मी जी को रखें. आसान पर बैठें और अपने चारों और जल छिड़क लें. इसके बाद संकल्प लेकर पूजा आरम्भ करें. एक मुखी घी का दीपक जलाएं. फिर मां लक्ष्मी और भगवान गणेश को फूल और मिठाइयां अर्पित करें. इसके बाद पहले भगवान गणेश, फिर मां लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करें. अंत में आरती करें और शंख ध्वनि करें.

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