डिजास्टर मैनेजमेंट रिपोर्ट-2025 में पटाखा, चिमनी विस्फोट और प्राकृतिक आपदा पर जताई चिंता

रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने डिजास्टर मैनेजमेंट रिपोर्ट-2025 तैयार की है, जिसमें प्रदेश में प्राकृतिक और मानव निर्मित आपदाओं का विश्लेषण किया गया है।
रिपोर्ट के अनुसार, बाढ़, सूखा, आकाशीय बिजली गिरना, चिमनी फटना, पटाखों के विस्फोट जैसी घटनाओं ने पिछले दो दशकों में प्रदेश को कई बार प्रभावित किया है। इसमें रायपुर, दुर्ग, रायगढ़, जांजगीर-चांपा, जशपुर, धमतरी, सुकमा, दंतेवाड़ा, मुंगेली, कबीरधाम, सूरजपुर, सरगुजा, नारायणपुर, बस्तर और बीजापुर को हाई-रिस्क श्रेणी में रखा गया है। वहीं, कोरिया, बलरामपुर, जशपुर, कोरबा, मारवाही, महासमुंद, धमतरी, कांकेर और कोंडागांव को कम खतरा वाले जिलों में वर्गीकृत किया गया है।
रिपोर्ट में उल्लेख है कि पिछले वर्षों में प्रदेश ने सूखा, बाढ़, बिजली गिरना, सर्पदंश, कोरोना, चक्रवाती तूफान, लू, डेंगू, मलेरिया के साथ-साथ मानव निर्मित आपदा जैसे पटाखों और चिमनी फटने, बांधों के टूटने, खदान धंसने और मधुमक्खियों के हमलों का सामना किया है। हाल ही में बस्तर में आई बाढ़ ने व्यापक नुकसान किया, जिसे देखने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की टीम ने दौरा किया।
प्रदेश में राहत और बचाव के लिए स्टेट डिजास्टर रिस्पांस फोर्स की सात टीमें तैनात हैं। इनमें पांच टीमें रायपुर, बिलासपुर, सरगुजा, दुर्ग और बस्तर संभाग मुख्यालय में हैं, जबकि दो टीमें रायपुर और बिलासपुर के ट्रेनिंग सेंटर में उपलब्ध हैं।
सेक्रेटरी, राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग रीना बाबा साहेब कंगाले ने बताया कि प्रदेश में सबसे अधिक खतरा बिजली गिरने और निचले इलाकों में बाढ़ से पानी भरने का है। उन्होंने सभी जिलों को एनडीएमएस के साथ समन्वय बनाकर सतर्क रहने और आपदा प्रबंधन के निर्देशों का पालन करने को कहा।