गरियाबंद। छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में तेल नदी के सेनमूड़ा घाट पर 2 करोड़ रुपये की लागत से बना डाय फ्राम वॉल पहली ही बारिश में टूट गया। वर्ष 2022 में जल प्रदाय योजना के तहत इस वॉल का निर्माण कराया गया था, लेकिन पहली बारिश में ही इसका करीब 20 मीटर हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया। वॉल के टूटने से निर्माण की गुणवत्ता पर सवाल खड़े हो गए हैं। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि वॉल टूटने के बाद भी अब तक कोई ठोस मरम्मत कार्य नहीं किया गया है।
जिला पंचायत की निर्माण समिति के सभापति देशबंधु नायक, ने निर्माण कार्य में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि वॉल को जिस मजबूती से तैयार किया जाना था, वह नहीं किया गया। निर्माण में भारी लापरवाही बरती गई, जिसके चलते यह पहली ही बारिश में बह गया। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि रिकॉर्ड में इस अधूरे निर्माण को पूर्ण दर्शाया गया है, जबकि वास्तविकता इससे बिल्कुल अलग है।
देशबंधु नायक ने इस मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। उन्होंने कहा कि निर्माण कार्य की जिम्मेदारी जिस इंजीनियर पीआर सिरमौर्य को दी गई थी, उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई, बल्कि उन्हें पदोन्नति देकर छुरा सबडिविजन का एसडीओ बना दिया गया। इससे यह स्पष्ट होता है कि विभागीय लापरवाही को नजरअंदाज किया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि अन्य इंजीनियर इस काम का चार्ज लेने से बच रहे हैं, जिससे यह संकेत मिलता है कि निर्माण में कई अनियमितताएं हुई हैं।
वहीं, सिंचाई विभाग के कार्यपालन अभियंता एस.के. बर्मन का कहना है कि वॉल के टूटने के बाद मरम्मत करवाई गई है और अन्य हिस्सों में सपोर्टिंग स्ट्रक्चर का काम किया गया है। निर्माण में खामी पाए जाने के कारण ठेका कंपनी से 5 लाख रुपये की पेनाल्टी भी वसूली गई है। विभाग का दावा है कि वॉल से जल प्रदाय योजना का उद्देश्य अब भी पूरा हो सकेगा।