रायगढ़-सारंगढ़ में घना कोहरा, लाइट जलाकर वाहन चलाना पड़ा जरूरी; बच्चों की सेहत पर कड़ाके की ठंड का असर

रायपुर। छत्तीसगढ़ के उत्तरी हिस्से में कड़ाके की ठंड और घने कोहरे ने आम जीवन को प्रभावित कर दिया है। रायगढ़ और सारंगढ़ जिलों के कई इलाकों में देर रात से घना कोहरा छाया रहा, जो सुबह 8 बजे तक बना रहा। वाहन चालकों को दृश्यता कम होने के कारण लाइट जलाकर चलाना पड़ रहा है। अमरकंटक में न्यूनतम तापमान 6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जबकि अंबिकापुर में 6.4 डिग्री रही। रामघाट, माई की बगिया और श्रीयंत्र मंदिर के पास बर्फ की चादर बिछी हुई नजर आई।
कड़ाके की ठंड बच्चों की सेहत पर भी असर डाल रही है। पिछले एक महीने में अंबेडकर समेत निजी अस्पतालों में हाइपोथर्मिया के 400 से अधिक मामले सामने आए हैं। बाल एवं शिशु रोग विशेषज्ञों के अनुसार नवजात और छोटे बच्चों का शरीर वयस्कों की तुलना में जल्दी ठंडा होता है, खासकर सीजेरियन डिलीवरी से जन्मे शिशुओं में हाइपोथर्मिया का खतरा अधिक होता है। पर्याप्त सावधानी न बरतने पर बच्चों को NICU और SNCU में भर्ती कर इलाज करना पड़ता है।
रायपुर में न्यूनतम तापमान 12.9 डिग्री दर्ज किया गया, जबकि अधिकतम 28.6 डिग्री रही। दिन-रात के तापमान में लगभग 17 डिग्री का अंतर लोगों को बीमार कर रहा है। अस्पतालों की ओपीडी में वायरल फीवर, सर्दी-खांसी के मरीजों की संख्या बढ़ गई है। अंबेडकर अस्पताल में रोजाना 2000 से अधिक मरीजों का इलाज हो रहा है।
हाइपोथर्मिया एक जानलेवा स्थिति है जिसमें शरीर का तापमान 37 डिग्री सेल्सियस से नीचे चला जाता है और महत्वपूर्ण अंगों की कार्यक्षमता प्रभावित होती है। डॉ. आकाश लालवानी के अनुसार, ठंडी हवा या पानी के संपर्क में आने से शरीर तेजी से अपनी गर्मी खो देता है। ऐसे मौसम में बच्चों और बुजुर्गों को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।





