रक्षा बजट में 50 हजार करोड़ की बढ़ोतरी संभव, नए हथियारों की खरीद पर जोर

दिल्ली। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद केंद्र सरकार रक्षा बजट में 50,000 करोड़ की बढ़ोतरी करने पर विचार कर रही है। रक्षा मंत्रालय ने सरकार को यह प्रस्ताव भेजा है, जिसकी मंजूरी संसद के शीतकालीन सत्र में मिल सकती है।
इस राशि का उपयोग नए हथियार, गोला-बारूद, सैन्य तकनीक और रिसर्च एवं डेवलपमेंट में किया जाएगा। फिलहाल 2025-26 के बजट में रक्षा मंत्रालय को 6.81 लाख करोड़ आवंटित किए गए हैं। अगर यह बढ़ोतरी होती है, तो कुल रक्षा बजट ₹7 लाख करोड़ के पार हो जाएगा। पिछले 10 वर्षों में रक्षा बजट तीन गुना बढ़ा है, जो 2014-15 में ₹2.29 लाख करोड़ था।
भारत के कुल सैन्य बजट का लगभग 75% हिस्सा सेना के वेतन और पेंशन में खर्च होता है, जिससे आधुनिकीकरण और नए हथियारों की खरीद के लिए महज 25% बजट बचता है। भारतीय वायुसेना को 42 स्क्वॉड्रन की आवश्यकता है, लेकिन वर्तमान में उसके पास केवल 31 स्क्वॉड्रन हैं, जिनमें से दो मिग-29 बाइसन स्क्वॉड्रन इस वर्ष रिटायर हो जाएंगी।
SIPRI के अनुसार, भारत का सैन्य खर्च 2024 में ₹7.19 लाख करोड़ पहुंच गया है, जो पाकिस्तान से नौ गुना अधिक है। वहीं, भारत और फ्रांस के बीच 26 राफेल मरीन विमानों की ₹63,000 करोड़ की डील भी अप्रैल 2024 में फाइनल हुई है।
हालांकि, लगातार तीसरे साल भारत के हथियार खरीद बजट में कटौती देखी गई है। कुल बजट का 12.9% हिस्सा डिफेंस को मिला है, जिसमें अधिकांश राशि सैलरी और पेंशन पर खर्च होती है। बढ़ता वैश्विक तनाव अब भारत को अपने सैन्य आधुनिकीकरण की ओर तेज़ी से बढ़ने को मजबूर कर रहा है।