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साइबर फ्रॉड से व्यापारी-आमजन परेशान: बैंक खाते सीज, पीड़ित बैंक-थाने-कोर्ट के चक्कर में

रायपुर। देशभर में साइबर फ्रॉड तेजी से बढ़ रहे हैं, लेकिन सबसे अधिक परेशानी उन लोगों को हो रही है जिनके बैंक खातों में ठगी की राशि ट्रांसफर हो रही है। रायपुर में ऐसे 50 से अधिक मामले सामने आए हैं, जहां खाते में संदिग्ध राशि आते ही पुलिस और बैंक सीधे खाता सीज कर देते हैं।

न्यू राजेंद्र नगर की कारोबारी दिव्या का सिविल लाइन स्थित ICICI बैंक खाता एक साल से बंद है। साइबर सेल से मेल आने के बाद बैंक ने बिना नोटिस खाता बंद कर दिया। दिव्या ने बैंक और पुलिस से मदद मांगी, लेकिन समाधान नहीं मिला। अब वह न्यायालय की शरण लेने पर मजबूर हैं, जबकि उनका पैसा और किस्तें फंसी हुई हैं।

कोतवाली इलाके की मिक्की (परिवर्तित नाम) का सैलरी अकाउंट भी अचानक ब्लॉक हो गया। बैंक ने 11 हजार रुपए की संदिग्ध राशि आने के कारण अकाउंट फ्रीज कर दिया। उनके अपने परिवार द्वारा जमा किए गए पैसे भी अब नहीं निकाले जा सकते।

गंज इलाके के तुषार का अकाउंट पांच महीनों से ब्लॉक है। केवल 21 हजार रुपए संदिग्ध राशि के कारण उनके 20 लाख रुपए फंसे हैं। बैंक ने यह जानकारी भी नहीं दी कि किस पुलिस विभाग ने मेल भेजा था।

रायपुर के एडवोकेट विपिन अग्रवाल का कहना है कि अकाउंट सीज करने के लिए न्यायालय की अनुमति आवश्यक है। केवल राशि को लीन किया जा सकता है, पूरे खाते को ब्लॉक नहीं किया जा सकता। इस प्रक्रिया में निर्दोष लोग आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं, कई को उधारी लेकर कारोबार और घर चलाना पड़ रहा है।

साइबर ठगी का दायरा बढ़ा है, लेकिन निर्दोष पीड़ितों की समस्याओं का समाधान लंबी कानूनी प्रक्रिया में फंसा है। लोगों का कहना है कि सिस्टम ऐसा हो कि अकाउंट में आई पास-थ्रू राशि के कारण निर्दोषों को परेशानी न हो।

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