शिव शंकर साहनी@सरगुजा। उदयपुर परसा ईस्ट एवं केते बासेन के लिए पेड़ों की कटाई फिर शुरू कर दी गई है। बताया जा रहा है कि यहां 4 से 5 लाख पेड़ो की कटाई होनी है। पेड़ो को बचाने के लिए बड़ी संख्या में आंदोलनकारी सामने आए है। जिन्हें सुबह ही पुलिस ने हिरासत में ले लिया हैं। आंदोलनकारियों को रोकने के लिए कोल खदान जाने वाले साल्ही परसा मोड़ बासेन हर रास्ते पर पुलिस बल तैनात की गई है। मामला उदयपुर थाना क्षेत्र का है।
बता दे कि परसा ईस्ट केते बासेन परियोजना का ग्रामीण विरोध कर रहे हैं। इस खदान का संचालन एवं कोल परिवहन अडानी इंटरप्राइजेस कर रही है। अब फिर से पेड़ो की कटाई शुरू कर दी गई है। पेड़ों को काटने की जानकारी हुई तो फिर से ग्रामीण मुखर हो गए। लेकिन उससे पहले ही उनको हिरासत में ले लिया गया। अभी तक कितने ग्रामीणों को पुलिस उठा कर ले गई है। इसकी जानकारी नहीं मिल पाई हैं।
10 साल से आदिवासी कर रहे विरोध
असल में पिछले 10 सालों से आदिवासियों के लगातार विरोध के बाद भी पिछले साल केंद्र सरकार की मुहर के बाद अब छत्तीसगढ़ सरकार ने हसदेव अरण्य के परसा कोयला खदान को 6 अप्रैल को मंजूरी दे दी थी. सरगुजा और सूरजपुर जिले के 1252.447 हेक्टेयर क्षेत्र में फैले परसा कोयला खदान का 841.538 हेक्टेयर जंगल का इलाका है, जबकि 410.909 हेक्टेयर क्षेत्र जंगल क्षेत्र से बाहर का इलाका है. राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड को आवंटित छत्तीसगढ़ के इस कोयला खदान को राजस्थान की कांग्रेस पार्टी सरकार ने एमडीओ यानी माइन डेवलपर कम ऑपरेटर के आधार पर अनुबंध करते हुए अडानी समूह को सौंप दिया है.