गरियाबंद

पांच साल में 37 आंगनबाड़ी भवन अब भी हैं अधूरे,मनरेगा के कार्य को लेकर सरपंच-सचिव नहीं दिखा रहे रुचि,जिम्मेदारों के कार्य प्रणाली पर सवाल हुआ खड़ा

रवि तिवारी@देवभोग। देवभोग ब्लॉक में मनरेगा के तहत स्वीकृत हुए आंगनबाड़ी भवन पिछले पांच सालों से अधूरे पड़े हैं। स्थिति यह हैं कि पिछले पांच सालों में ब्लॉक में 66 आंगनबाड़ी भवन स्वीकृत हुए,जिनमें से 24 भवन पूरे हुए,जबकि 37 भवन का काम अभी भी अधूरा पड़ा हैं। वहीं 5 भवन ऐसे हैं, जिसका काम ही शुरू नहीं हो पाया। ज्ञात हो कि मनरेगा के तहत स्वीकृत हुए इन भवनों को पूरा करने में सरपंच-सचिव रुचि भी नहीं ले रहे हैं। यहां बताना लाज़मी होगा कि देवभोग ब्लॉक में वर्ष 2018-19 में 27 भवन स्वीकृत हुए हैं, जिनमें 18 भवन पूर्ण हो चुके हैं, जबकि 9 अभी भी अधूरे हैं। इसी तरह 2019-20 में 2 भवन स्वीकृत हुए थे,दोनों भवन अभी भी अधूरे हैं। वहीं 2020-21 में स्वीकृत 32 भवन में से 6 पूर्ण हो चुके हैं, जबकि इस वर्ष में सबसे ज्यादा 24 भवन अभी भी अधूरा पड़ा हैं। जबकि 2 भवन का काम अभी भी शुरू नहीं हो पाया हैं। वहीं 2021-22 में 5 भवन स्वीकृत हुआ हैं, जिनमें से 2 भवन अभी भी अधूरा हैं, जबकि 3 का काम अभी भी शुरू नहीं हो पाया हैं।

सरपंच हो रहे कर्ज़दार

सरपंच संघ देवभोग के ब्लॉक अध्यक्ष राजकुमार प्रधान ने बताया कि मनरेगा की राशि समय पर सरपंचों को नहीं मिल पा रहा हैं, जिसके चलते सरपंच काम करने में रुचि नहीं ले रहे हैं। सरपंच संघ के अध्यक्ष के मुताबिक सरपंच सेठ साहूकार से मटेरियल उधारी में लेकर मनरेगा का कार्य करवा देते हैं लेकिन पैसा का भुगतान समय पर नहीं होने से सरपंच कर्ज़ से लद जाते हैं, वहीं सेठ साहूकार को दिए गए तय समय के मुताबिक राशि का भुगतान नहीं करने पर वे सरपंचों को राशि के भुगतान को लेकर परेशान करते हैं। इसी के चलते सरपंच मनरेगा के कार्यों को लेकर रुचि नहीं ले रहे हैं। सरपंच संघ अध्यक्ष ने कहा कि आगामी दिनों में प्रदेश के मुख्यमंत्री से मुलाकात कर उन्हें सरपंचों की समस्या से अवगत करवाते हुए समय पर भुगतान किए जाने की मांग भी संघ द्वारा की जाएगी।

मामले में जिला पंचायत सीईओ रोक्तिमा यादव ने कहा कि वे मामले की जानकारी लेंगी और जल्द ही अधूरे पड़े भवन को पूरा करने की दिशा में उचित कदम उठाया जाएगा।

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