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सरगुजा-अंबिकापुर

Corona महामारी ने तोड़ी मूर्ति व्यवसायियों की कमर, लाखों के व्यवसाय को चंद हजारों में समेटा, आर्थिक संकट

शिव शंकर साहनी@अंबिकापुर। कोरोना महामारी के प्रभाव ने अंबिकापुर के मूर्ति व्यवसायियों की कमर तोड़ दी है। महामारी ने जहां लाखों के व्यवसाय को चंद हजारों में समेट दिया। वही मांग में आई गिरावट ने मूर्तियों की कीमतों पर भी असर डाला है। नतीजा मूर्तिकार और मूर्ति व्यवसायियों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है।

कोरोना महामारी ने हर वर्ग की कमर तोड़ कर रख दी हैं। मूर्तिकार भी इससे अछूते नही रह गए है। एक समय था जब विशेष अवसरों पर मूर्ति बनाने वाले कारीगरों को सांस लेने की भी फुर्सत नहीं होती थी, दिन रात अपने परिवार के साथ मिलकर भव्‍य मूर्तियां तैयार करते थे जिससे अच्‍छी आमदनी हो सके। लेकिन  कोरोना महामारी के कारण उनका व्‍यापार ही चौपट हो गया है। अंबिकापुर में लगभग 30 वर्षों से मूर्ति बनाते आ रहे मूर्तिकार संजित पाल ने बताया कि बसंत पंचमी नजदीक है इसे देखते हुए उन्होंने लगभग 70 मूर्तियां सरस्वती माता की तैयार की है। लेकिन कोरोना संक्रमण की वजह से स्कूल और कॉलेज बंद है। जिस वजह से  मूर्तियों का आर्डर नहीं मिला रहा है। मूर्तिकार संजीव पाल की माने तो इस वर्ष मात्र उन्हें अब तक दो मूर्तियों का आर्डर ही मिला है एक मूर्ति की कीमत 950 रुपये है। जबकि दूसरे मूर्ति की कीमत मात्र 750 रुपये है। कोरोना संक्रमण की वजह से स्कूल एवं कॉलेज बंद होने से विगत वर्ष की तुलना में इस वर्ष मूर्तियों की बिक्री ना के बराबर नज़र आ रही है।

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बसंत पांचवी के अवसर पर इस साल उन्हें भारी नुकसान होता दिख रखा है। मूर्तिकार का कहना है कि पिछले वर्ष बसंत पंचमी के 1 सप्ताह पूर्व उन्हें लगभग 20 से 30 मूर्तियों का आर्डर मिल चुका था लेकिन इस वर्ष मात्र दो ही मूर्तियों का ऑर्डर मिला है। ऐसे में इस संकट की घड़ी में उनकी रोजी रोटी के भी लाले पड़ गये हैं, उन्‍हें चिंता सताने लगी है कि इस नुकसान का भरपाई वह कैसे उठाएंगे। मूर्तियों में लगायी गयी पूंजी तो डूबती हुई दिख रही है, वही इस आपदा में हुए नुकसान से मूर्तिकार कैसे और कब तक उभरते हैं यह उनके लिए चिंता का विषय बना हुआ है।

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